December 20, 2024

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भीष्म ज्ञान – जानिए कौन से कामों से कम होती है उम्र और कौन से कामों से बढ़ती है उम्र !

धर्म ग्रंथों के अनुसार, पहले के समय में मनुष्य की उम्र 100 या उससे अधिक होती थी, लेकिन वर्तमान समय में वह कम होती जा रही है। मनुष्यों की उम्र कम क्यों होती जा रही है, इसका कारण भी हमारे धर्म ग्रंथों में ही बताया गया है। साथ ही ये भी बताया गया है कि क्या काम करने से मनुष्यों का आयु बढ़ती है।

भीष्म ज्ञान – जानिए कौन से कामों से कम होती है उम्र और कौन से कामों से बढ़ती है उम्र !

Bhishma Gyan Know What Works And What Works Less Age Grows Older in Hindi :-

परंतु ग्रंथों का अध्ययन न करने के कारण हम इन बातों को नहीं जानते। आज हम आपको कुछ ऐसे कामों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें करने से मनुष्य की उम्र कम या अधिक होती है। इन कामों के बारे में महाभारत के अनुशासन पर्व में भीष्म पितामाह ने युधिष्ठिर को बताया था। जानिए कौन से हैं वो काम जो हमारी उम्र पर असर डालते हैं-

  • महाभारत के अनुसार, जो मनुष्य तिनके तोड़ता है, नाखून चबाता है तथा हमेशा अशुद्ध रहता है, उसकी मृत्यु जल्दी ही हो सकती है। उदय, अस्त, ग्रहण एवं दिन के समय सूर्य की ओर देखने वाले मनुष्य की मृत्यु भी कम उम्र में हो जाती है।
  • गुस्सा न करने वाले, सच बोलने वाले, सभी को एक समान रूप से देखने वाले और धोखा नहीं करने वाले मनुष्य की उम्र 100 वर्ष होती है। रोज ब्रह्म मुहूर्त में जागकर फिर शौच-स्नान करने के बाद सुबह की संध्या (पूजन की एक विधि) व शाम के समय भी विधिपूर्वक संध्या करने वाले मनुष्य की आयु भी अधिक होती है।
  • बाल संवारना, आंखों में काजल लगाना, दांत-मुंह धोना और देवताओं का पूजन करना- ये सभी काम दिन के पहले पहर (सुबह 9 बजे से पहले) में ही करना चाहिए। जो लोग ये काम समय पर नहीं करते, वे शीघ्र ही काल का शिकार हो जाते हैं।
  • भगवान को न मानने वाला, कुछ काम न करने वाला, गुरु और शास्त्र की बात न मानने वाला व धर्म को न जानने वाले बुरे लोगों की मृत्यु कम उम्र में हो जाती है। जो लोग दूसरे वर्ण (जाति या धर्म) की महिलाओं से संपर्क रखते हैं, वे भी जल्दी ही मृत्यु को प्राप्त होते हैं।
  • मल-मूत्र की ओर देखने वाले, पैर पर पैर रखने वाले, दोनों ही पक्षों (कृष्ण व शुक्ल पक्ष) की चतुर्दशी व अष्टमी तथा अमावस्या व पूर्णिमा पर स्त्री समागम करने वाले लोगों की मृत्यु कम उम्र में ही हो जाती है।
  • दूसरों के पहने हुए कपड़े व जूते नहीं पहनने चाहिए। दूसरों की निंदा व चुगली नहीं करना चाहिए। किसी को भला-बुरा न बोलें। अपंग व कुरूप की हंसी नहीं उड़ाना चाहिए। जो लोग इन बातों का ध्यान रखते हैं, उनकी मृत्यु कम उम्र में नहीं होती।
  • जो लोग सूर्योदय होने तक सोते हैं व ऐसा करने पर प्रायश्चित भी नहीं करते। शास्त्रों में जिन वृक्षों की दातून का उपयोग करने के लिए मना किया गया है, उनसे दातून करने वाला मनुष्य जल्दी ही मृत्यु को प्राप्त होता है।
  • मैले दर्पण में मुंह देखने वाला, गर्भवती स्त्री से समागम करने वाला तथा उत्तर और पश्चिम की ओर सिरहाना करके सोने वाला, टूटी व ढीली खाट पर सोने वाला, अंधेरे में रखे पलंग पर सोने वाले लोग जल्दी ही यमराज के दर्शन करते हैं।
  • उत्तर दिशा की ओर मुंह करके मल-मूत्र त्याग करना चाहिए। दातून किए बिना देवताओं की पूजा नहीं करना चाहिए। कभी भी बिना कपड़े के या रात को न नहाएं। नास्तिक लोगों के साथ नहीं रहें। नहाए बिना चंदन न लगाएं। नहाने के बाद गीले कपड़े न पहनें। रजस्वला स्त्री के साथ बातचीत न करें। इन बातों का ध्यान रखने वाला मनुष्य 100 वर्ष तक सुख भोगता है।
  • बोए हुए खेत में, गांव के आस-पास तथा पानी में मल-मूत्र त्याग करने वाला, परोसे हुए भोजन की निंदा करने वाला, भोजन से पूर्व आचमन नहीं करने वाला तथा भोजन करते समय बोलने वाले मनुष्य की आयु कम हो जाती है।
  • अपवित्र अवस्था में सूर्य, चंद्रमा और नक्षत्र की ओर देखने वाले, वृद्धों के आने पर खड़े होकर प्रणाम नहीं करने वाले, फूटी हुई कांसे की थाली का उपयोग करने वाले, एक ही कपड़ा पहनकर भोजन करने वाले और अपवित्र अवस्था में सोने वाले लोगों की आयु जल्दी ही समाप्त हो जाती है।
  • दूसरे के नहाए हुए पानी का किसी भी रूप में उपयोग न करें। भोजन बैठकर ही करें। खड़े होकर मूत्र त्याग न करें। राख तथा गोशाला में भी मूत्र त्याग न करें। भीगे पैर भोजन तो करें, लेकिन सोए नहीं। इन सभी बातों का ध्यान रखने वाले लोगों की उम्र अधिक होती है।
  • सिर पर तेल लगाने के बाद उसी हाथ से दूसरे अंगों का स्पर्श नहीं करना चाहिए। जूठे मुंह नहीं पढ़ना या पढ़ाना चाहिए, ऐसा करने से आयु का नाश होता है।
  • जो लोग जूठे मुंह ही घर से बाहर जाते हैं, यमराज उसकी आयु नष्ट कर देते हैं। जो सूर्य, अग्नि, गाय तथा ब्राह्मणों की ओर मुंह करके तथा बीच रास्ते में मूत्र त्याग करते हैं, उन सभी की आयु कम हो जाती है।
  • गुरु के सामने कभी जिद नहीं करना चाहिए। यदि गुरु अप्रसन्न हों तो उन्हें हर तरह से मान देकर मनाकर प्रसन्न करने की कोशिश करनी चाहिए। गुरु बुरा बर्ताव करते हों तो भी उनके प्रति अच्छा ही बर्ताव करना उचित है। गुरु की निंदा मनुष्यों की आयु कम कर देती है।
  • लंबी उम्र चाहने वाले लोगों को घर से दूर जाकर मूत्र त्याग करना चाहिए, दूर ही पैर धोना चाहिए तथा जूठन भी घर से दूर ही फेंकना चाहिए। लाल फूलों की माला नहीं, सफेद फूलों की माला पहननी चाहिए, लेकिन कमल लाल हों तो उसकी माला पहनने में कोई हर्ज नहीं है।
  • जो लोग किसी अन्य के साथ एक ही बर्तन में भोजन करते हैं, जिसको रजस्वला स्त्री ने छू दिया हो तथा जिसमें से सार निकाल लिया गया हो, ऐसा अन्न खाते हैं, उसकी उम्र अधिक नहीं होती।
  • अधिक उम्र चाहने वाले लोगों को पीपल, बड़ और गूलर के फल का तथा सन का साग नहीं खाना चाहिए। हाथ में नमक लेकर नहीं चाटना चाहिए। रात को दही और सत्तू नहीं खाना चाहिए। सावधानी के साथ केवल सुबह और शाम के समय ही भोजन करना चाहिए। शत्रु के श्राद्ध में कभी भोजन नहीं करना चाहिए।
  • बूढ़े, परिवार के सदस्य और गरीब मित्र को अपने घर में आश्रय देना चाहिए। तोता और मैना जैसे पक्षियों का घर में रहना मंगलकारी होता है। उल्लू, गिद्ध और जंगली कबूतर यदि घर में आ जाए तो तुरंत उसकी शांति करवानी चाहिए, क्योंकि ये अमंगलकारी होते हैं।
  • जो लोग शाम के समय सोते हैं, पढ़ते हैं और भोजन करते हैं। रात के समय श्राद्ध करते हैं व नहाते हैं। भोजन के बाद बाल संवारते हैं। रात के समय खूब डटकर भोजन करते हैं। पक्षियों से हिंसा करते हैं। ऐसे लोग अधिक उम्र तक जीवित नहीं रहते।
  • पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके ही हजामत बनवानी चाहिए। हजामत बनवाकर बिना नहाए रहना भी आयु की हानि करने वाला है। बिना बुलाए कहीं नहीं जाना चाहिए, लेकिन यज्ञ देखने के लिए बिना निमंत्रण के भी जाने में कोई हर्ज नहीं है। जहां आदर न होता हो वहां जाने से भी आयु का नाश होता है।
  • जो लोग अपवित्र मनुष्यों को देखते या छूते हैं। पत्नी के साथ दिन में तथा रजस्वला अवस्था में समागम करते हैं, उसे शीघ्र ही यमदूत अपने साथ ले जाते हैं।
  • भोजन करके हाथ-मुंह धोए बिना मनुष्य अपवित्र रहता है, ऐसी अवस्था में अग्नि, गाय तथा ब्राह्मण का स्पर्श करने वाले को शीघ्र ही यमदूत ले जाते हैं।
  • पलंग पर कभी तिरछा नहीं सोना चाहिए, सदैव सीधा ही सोना चाहिए। नास्तिक मनुष्यों के साथ काम पड़ने पर भी नहीं जाना चाहिए। आसन को पैर से खींचकर नहीं बैठना चाहिए। बार-बार माथे पर पानी नहीं डालना चाहिए। जो भी लोग ये काम करते हैं, यमराज उसकी आयु छीन लेते हैं।
  • निषिद्ध ( वर्जित ) समय में कभी पढ़ाई नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से ज्ञान व आयु का नाश हो जाता है। मल और मूत्र का त्याग दिन में उत्तर दिशा की ओर मुख करके और रात में दक्षिण दिशा की ओर मुख करके करने से आयु का नाश नहीं होता।