आगरा फ़ोर्ट के बारे में बात करें तो मुग़ल काल का यह किला अपनी वास्तुकला और मुग़ल स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है और यह मुगल राजवंश के लिए रहने का सबसे प्रमुख किला था | 1638 तक मुगलों के भी इस किले का खास महत्व था क्योंकि उसके बाद तो मुगलों ने अपनी राजधानी के तौर पर दिल्ली को अपना लिया था जिसके लिए खासतौर पर लाल किले का निर्माण करवाया गया | तो चलिए इस आगरा फ़ोर्ट इतिहास के बारे में कुछ और बातें जानते है जो हमे जाननी चाहिए –
आगरा फोर्ट भी दुनिया की कुछ ऐसी खास जगहों में से एक है जिसे यूनेस्को के द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया गया है | Agra Fort के बारे में एक दिलचस्प बात ये भी है कि यह एक और शानदार स्मारक Taj Mahal के भी करीब है | ताजमहल और आगरा फोर्ट के बीच की दूरी महज 2.5 किलोमीटर है | इसके इतिहास की बात करें तो 1526 में पानीपत की पहली लड़ाई के बाद विजेता बाबर इसी किले में रहने लगा और 1530 में हुमायूँ इस किले में राजा के तौर पर रहने लगा | 1540 में हुमायूं शेर शाह सूरी से bilgram की लड़ाई हार गया इसके बाद 1555 तक किला सूरी के पास ही रहा जब तक कि हुमायूँ ने इसे फिर से जीत नहीं लिया | आदिल शाह सूरी के जनरल, हेमु ने 1556 में आगरा पर पुनः कब्जा कर लिया और उसने तुगलकाबाद की लड़ाई में 7 अक्टूबर 1555 को अकबर की सेना को निर्णायक रूप से हराकर राजा बन गया।
मुग़ल सम्राज्य के मध्य में होने की वजह से अकबर आगरा की भूमिका समझता था और उसने आगरा को अपनी राजधानी घोषित कर दिया 1558 में आगरा आ गया | अकबर में इतिहासकार Abu’l-Fazl ने इस बारे में बेहतरीन बताया है कि जब अकबर आगरा आया तो यह एक ईंटो का बना हुआ साधारण किला था जिसे Badalgarh के नाम से जाना जाता था लेकिन इसकी खराब हालत को देखते हुए अकबर ने इसे फिर से लाल बलुआ पत्थर से फिर से बनवाया और इसे Agra Fort नाम दिया और लाल बलुआ पत्थर जो था वो राजस्थान की एक जगह Barauliu से मंगवाया गया था | 1573 में यह बनकर तैयार हो गया और इसे बनाने में करीब 4000 लोग आठ साल तक लगे रहे तब जाकर Agra Fort बनकर तैयार हो पाया | इसके बाद अकबर के पोते शाहजंहाँ ने अपने ही काल में अपनी बेगम मुमताज महल की याद में एक भव्य मकबरे के तौर पर ताजमहल का निर्माण किया और जानकार बताते है कि अपने अंतिम दिनों में शाहजंह को उसी के बेटे औरंगजेब ने जेल में डलवा दिया था जिसकी कोठरी में से ताजमहल दिखता था और वह वन्ही मर गया | 18 वीं शताब्दी के प्रारंभ में मराठा साम्राज्य ने Agra Fort पर आक्रमण किया और कब्जा कर लिया। इसके बाद यह किला , मराठों और उनके दुश्मनों के बीच कई बार मालिकाना हक़ बदलता रहा । 1761 में अहमद शाह अब्दाली द्वारा पानीपत की तीसरी लड़ाई में मराठों की भयावह पराजय के बाद, मराठा अगले दशक के लिए इस क्षेत्र से बाहर रहे। अंततः महादजी शिंदे ने 1785 में किले को हथिया लिया। लेकिन फिर Agra Fort मराठों द्वारा दूसरे आंग्ल-मराठा युद्ध के दौरान ब्रिटिशों के हाथों में 1803 में चला गया था | एक और ख़ास बात है जिसके बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए कि 1857 की क्रांति के समय यही स्थान युद्धभूमि था |
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