13 सितंबर से श्राद्ध पक्ष की शुरुआत हो चुकी हैं जो कि 28 सितंबर को अमावस्या के दिन समाप्त होंगे। हिन्दू धर्म में श्राद्ध का विशेष महत्व माना जाता हैं और इन दिनों में पितरों की आत्मा की शान्ति के लिए और उनके प्रति आस्था व्यक्त करते हुए श्राद्ध का भोग लगाया जाता हैं। श्राद्ध के दौरान कौवों का काफी सम्मान किया जाता है क्योंकि माना जाता हैं कि पूर्वज श्राद्ध पक्ष के दिनों में कौवे के रूप में आते हैं। तो आइये जानते हैं इनके बारे में ।
हिंदू धर्म में कौवे के अलावा गाय और श्वान को भी पितरों का प्रतीक माना जाता है। इसलिए ज्यादातर लोग पितृ पक्ष के माह में अलग-अलग तरह के भोजन बनाकर कौवे, श्वाव और गाय के ग्रास के रूप में निकालते हैं। कुछ घरों में प्रत्येक दिन पितरों को अलग तरह की वस्तुएं ग्रास के रूप में निकाली जाती हैं। पितृपक्ष में ब्राम्हणों को भी भोजन कराना शुभ माना जाता है।
माना जाता है कि अगर कौआ घर की छत या मुंडेर पर आ कर कांव कांव करता है तो घर में महमान आने का संकेत देता है। इससे घर की संपत्ति भी बढ़ती है। यदि कौवा अपनी चोंच में फूल या पत्ती दबाकर घर की छत पर बैठा हो तो इसका अर्थ यह है कि आपकी मनोकामनाएं पूरी होने वाली हैं।
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