पितृपक्ष के समाप्त होते ही नवरात्र का पर्व शुरू होने वाला हैं और सभी मातारानी का आगमन करते हैं। सभी चाहते हैं कि मातारानी की पूजा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाए। ऐसे में वास्तु का भी बड़ा महत्व माना जाता है। जी हाँ, देवी-देवताओं की पूजा में दिशा का बड़ा महत्व माना जाता हैं और निर्धारित दिशा में पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। इसलिए आज हम आपके लिए मातारानी की पूजन से जुड़ी कुछ ध्यान रखने वाली बातों की जानकारी लेकर आए हैं जिससे आपकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ती होगी। तो आइये जानते हैं इन उपायों के बारे में।
– वास्तु के अनुसार माता के कमरे में हल्के पीला, हरा या फिर गुलाबी रंग होना चाहिए, क्योंकि इससे पूजा कक्ष में सकारात्मक ऊर्जा (positive energy) का संचार होता है। घर के उत्तर-पूर्व दिशा में प्लास्टिक या लकड़ी से बने पिरामिड रख सकते हैं। ऐसा करने से पूजा करते समय ध्यान नहीं भटकेगा। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पिरामिड नीचे से खोखला हो।
– पूजन शुरू करने से पहले स्वास्तिक जरूर बनाएं। वास्तुशास्त्र (vastu shastra) के प्राचीन ग्रंथों में मंदिरों और घरों में किसी भी शुभ काम को करने से पूर्व हल्दी से या फिर सिंदूर से स्वातिस्क का प्रतीक चिन्ह बनाए जाने का नियम है।
– यह बेहद जरूरी है कि माता की पूजा करते समय हमारा मुख दक्षिण या पूर्व दिशा में ही रहे। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता का क्षेत्र दक्षिण दिशा में माना गया है।
– दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पूजन करने से मानसिक शांति मिलती है जबकि पूर्व दिशा की ओर मुख करके मां का ध्यान पूजन करने से हमारी चेतना जागृत होती है और हमारा सीधा जुड़ाव माता से होता है।
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