हमारे हिन्दू धर्म के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम, पर्वतो के राजा हिमालय की की केदार नामक चोटी पर स्थित है. 3 साल पहले यानी 2013 में केदारनाथ घाटी की मंदाकनी नदी में उत्तपन हुई जल प्रलय ने एक ऐसा विकराल रूप धारण किया था की जल प्रलय का एक विनाशक दृश्य कुछ ही क्षणों में सब लोगो के सामने था.
मंदाकनी का वह विकराल रूप ऐसा लग रहा था मानो वह सब कुछ अपने में समाहित कर लेना चाहती है, उफान मारती मंदाकनी अपने रास्ते में आ रहे हर चीज़ को अपने साथ बहा ले जा रही थी.
परन्तु स्वयं प्रलय को अपने काबू में रखने वाले महादेव शिव से बड़ी इस ब्रह्मांड में कोई शक्ति नहीं है, और यह बात प्रलय के समय में केदारनाथ के पवित्र धाम में भगवान शिव ने अपने चमत्कार द्वारा सच कर के दिखाई.
भगवान शिव ने केदरनाथ अपने ऐसे पाँच चमत्कार दिखाए जिन्हें देख आज भी लोग अपने आपको हर हर भोले कहने से नहीं रोक पाते.
मन्दाकिनी अपने तेज लहरो के साथ केदरनाथ में स्थित आस पास के सभी मंदिरो को अपने साथ बहाते हुए ले जा रही थी और बार बार केदारनाथ धाम पर चोट कर रही थी.
मन्दाकिनी नदी का साहस इतना बढ़ चुका था की वह केदारनाथ को भी अपने साथ बहा ले जाना चाहती थी.
ऐसा प्रतीत हो रहा था की इतने शक्तिशाली लहरो का सामना केदारनाथ नहीं कर पायेगा परन्तु तभी भगवान शिव ने अपने लीला रचते हुए पहला चमत्कार दिखाया.
उन तेज लहरो में अचानक एक शिला प्रकट हो गई जिसने केदारनाथ की दीवारों को लहरो से चोट कर रही मंदाकनी को रोक लिया.
भक्तो की यह मान्यता है की स्वयं भगवान शिव उस शिला के रूप में प्रकट हुए तथा उन्होंने अपने चमत्कार द्वारा मन्दाकिनी का अहंकार चूर किया.
केदारनाथ के दर्शन को आने वाले भक्तो द्वारा आज यह शिला भीम शिला के रूप में पूजी जाती है.
भगवान शिव के वाहन तथा उनके प्रमुख गणो में से एक है नंदी महाराज. केदारनाथ धाम के द्वार के सामने ही नंदी महाराज के प्रतिमा आज भी उसी प्रकार स्थापित है जैसी वह प्रलय से पूर्व थी. भयंकर लहरो के साथ सब कुछ बहाती हुई मंदाकिनी उस प्रतिमा को उसके स्थान से हिलाना तो दूर, उस प्रतिमा पर कोई खरोच तक नहीं कर पायी.
इस पवित्र धाम केदरनाथ में ऐसा तो पहली बार हुआ था की इसके पट खुलने के बाद भी यहां पूजा नहीं हुई परन्तु इसके बावजूद भी भगवान शिव की एक महिमा यहाँ भी देखने को मिली.
यहां पर कई दिनों से पूजा न होने के बाद भी शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़े हुए थे तथा वे ऐसे लग रहे थे मानो भगवान शिव पर किसी ने ताजे बेलपत्र अर्पित किये हो;
वैसे केदारनाथ मंदिर के बारे में यह मान्यता है की जब शीत ऋतू में छः महीने के लिए इस पवित्र धाम के कपाट बन्द होते है तो देवता इस मंदिर में पूजा करते है व मंदिर से घंटियों की आवाज आती है.
छः माह पश्चात जब मंदिर के कपाट खुलते है तब भी मंदिर के अंदर स्थित दिप जल रहा होता है.
भगवान शिव का चौथा चमत्कार था मंदिर के अंदर मौजूद नंदी का पूरी तरह सुरक्षित रह जाना जबकि मंदिर में मौजूद पांडवों की मूर्तियां खंडित हो चुकी थी.
केदारनाथ धाम का पाँचवा चमत्कार साक्षात केदारनाथ स्वयं थे. जल प्रलय के दौरान नदी के साथ आये हुए ढेर सारे मलवे ने केदारनाथ को पूर्ति तरह से पट दिया था. परन्तु भगवान शिव की लीला ऐसी की मलबे के बिच भी शिवलिंग सुरक्षित था. ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो भगवान शिव मन्दकिनी के अहंकार के आगे मंद मंद मुस्करा रहे हो.
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