हिंदू धर्म के महाकाव्य महाभारत में द्रोपदी को आग से जन्मी पुत्री के रूप में वर्णित किया गया था। पांचाल के राजा ध्रुपद थे; जिनके कोई संतान नहीं थी, उन्होने एक यज्ञ करवाया जिसमें द्रोपदी का जन्म हुआ; वह पांच पांडवों की रानी बनी और कहा जाता है कि वह उस समय की सबसे सुंदर स्त्री थी।
How Was Draupadi Born Mahabharat in Hindi :-
बहुत कम ही लोगों को ज्ञात होगा कि द्रोपदी के पांच पुत्र थे, जो हर एक पांडव के थे। युधिष्ठिर से पृथ्वीविंध्या, भीम से सुतासोमा, अजुर्न से श्रुताकर्मा, नकुल से सातानिका और सहदेव से श्रुतासेना थे।
द्रोपदी, आजीवन कुंवारी रही थी। सभी पुत्रों का जन्म देवों के आह्वान से हुआ था।
द्रोपदी के जन्म का कारण:
पांचाल के राजा ध्रुपद को कोई संतान नहीं थी और वह पुत्र चाहते थे ताकि उनका राज्य कोई संभाल सकें, उन्हे भी कोई उत्तराधिकारी मिल सकें। ऋषि द्रोण के साथ उनका काफी मनमुटाव था और अर्जुन ने उनके आधे राज्य को जीतकर ऋषि द्रोण को दे दिया था।
बदले की भावना:
राजा ध्रुपद में इस बात को लेकर बहुत निराशा थी और वह बदला लेना चाहते थे, जिसके लिए उन्होने एक बड़ा यज्ञ करवाया। इस यज्ञ को करवाने पर द्रोपदी का जन्म हुआ और साथ ही में एक पुत्र भी जन्मा; जिसका नाम दृष्टदुम्या था।
कुरू वंश का पतन:
जब द्रोपदी का जन्म हुआ, उस समय ही आकाशवाणी हुई कि यह लड़की, कुरू वंश के पतन का कारण बनेगी।
द्रोपदी का विवरण:
महाभारत में द्रोपदी को बेहद खूबसूरत बताया गया है, कहा जाता है कि उनकी आंखें, फूलों की पंखुडियों की भांति थी, वह काफी कुशाग्र और कला में दक्ष थी। उनके शरीर से नीले कमल की खुशबु आती थी।
रोपदी के लिए स्वयंवर:
जब द्रोपदी के लिए स्वयंवर रचाया गया था, उस समय पांडवों को अज्ञातवास मिला हुआ था। राजा ध्रुपद ने अपनी पुत्री के लिए स्वयंवर रचा और एक धनुष प्रतियोगिता रखी। इस प्रतियोगिता को जीतने वाले को उपहारस्वरूप द्रोपदी से शादी करवाई जाएगी, ऐसी घोषणा हुई थी।
सर्वोत्तम धर्नुधर:
ध्रुपद का कहना था कि इस प्रतियोगिता में जो व्यक्ति तीर को निशाने पर मार देगा, वही मेरी पुत्री से विवाह से कर सकता है, ताकि उनकी पुत्री का विवाह सर्वश्रेष्ठ धर्नुधारी से हो सकें।
अज्ञातवास:
पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान भोजन के लिए निकले हुए थे, जहां वह द्रोपदी के विवाह में जा पहुंचें। वहां पर अर्जुन ने तीर चलाया और द्रोपदी को जीत लिया। इस प्रकार द्रोपदी का विवाह हुआ, लेकिन कुंती ध्यान में थी और उन्होने अपने पुत्रों को अर्जुन का जीता हुआ सामान बांट लेने को कहा; जिससे पुत्रों को पत्नी भी बांटनी पड़ गई।
उत्तराधिकारी:
पांडवों के प्रवास के दौरान, द्रोपदी भी उनके साथ ही रही। बाद में वह हस्तिनापुर वापस आई और अपने पांडवों के साथ रही। वहां भी उनकी मुश्किलें कम नहीं हुई। कौरवों के पुत्र, हर क्षण उनका अपमान करते थे।
खांडवप्रस्थ:
पांडव पुत्रों को राज्य में खांडवप्रस्थ दे दिया गया था, जहां उन्हे गुजर बसर करना था। यह स्थान बिल्कुल रेगिस्तान जैसी थी। भगवान कृष्ण की मदद से इस स्थान को इंद्रप्रस्थ बनाया गया। घाटी में एक महल का निर्माण किया गया।
राजासुया यज्ञ:
इस यज्ञ को करके पांडवों ने कई प्रकार से आराधना करके, ईश्वर से वरदान प्राप्त कर लिया था। इससे उन्हे काफी शक्ति प्राप्त हुई थी।
द्रोपदी को भारत की पहली नारीवादी:
माना जाता है कि द्रोपदी, भारत की पहली स्त्रीवादी थी। उन्होने अपने समय में महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों पर आवाज उठाई थी और उनके हित की बात कही थी। कौरवों के जुल्मों पर भी वह खुलकर बोल देती थी।
सुंदरता ही संकट बनी:
द्रोपदी बेहद सुंदर थी, अर्जुन ने उन्हे जीता था लेकिन वह पांडवों की रानी बनी। वह इतनी सुंदर थी कि दुर्योधन की उन पर बुरी नज़र थी। उनकी सुंदरता के कारण ही उनकी दशा बन गई थी। उनकी सुंदरता ही उनके लिए जी का जंजाल बनी हुई थी।
पांच पतियों की पत्नी:
द्रोपदी में ऐसे गुण थे कि वह पांडवों को अच्छे से समझा सकती थी। वह पांचों पांडव को अपने पति की तरह मानती थी और उन्हे पूरा सम्मान देती थी। हालांकि, इस कारण उन्हे कई बार अपशब्दों का सामना करना पड़ा और कर्ण ने उन्हे चीरहरण के दौरान वेश्या तक कह दिया था।
More Stories
Ayodhya Darshan Guide: जाने राम मंदिर खुलने, बंद होने और रामलला के आरती का समय, पढ़ें ये जरूरी बातें !
भगवान श्रीकृष्ण के कुछ ऐसे गुण जो संवार सकती हैं आपकी जिंदगी; अपनाए !
Shardiya Navratri 2023: आखिर क्यों मनाई जाती है शारदीय नवरात्रि 9 दिन? आइये जानें इन नौ रातों का महत्व और इतिहास !