17 अक्टूबर यानी आज करवा चौथ का त्योहार है। यह त्योहार भारतीय परम्परा में पति और पत्नी के प्रेम के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। अखंड सौभाग्य के इस पर्व करवा चौथ को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। खासकर नवविवाहित महिलाएं अपने पहले करवा चौथ को यादगार बनाना चाहती हैं। इस खास पर्व का महिलाएं पूरा साल इंतजार करती हैं, क्योंकि उन्हें सजने संवरने और सोलह श्रृंगार करने का मौका मिलता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और रात में चांद देखने के बाद अपना व्रत तोड़ती हैं। ये व्रत सूर्योदय से पहले शुरू होता है जिसे चांद निकलने तक रखा जाता है। शास्त्रों के मुताबिक इस व्रत के समान सौभाग्यदायक व्रत कोई दूसरा नहीं है। व्रत का ये विधान बेहद प्राचीन है। पहले महिलाएं अपने घर में ही करवा चौथ का व्रत रखा करती थीं, लेकिन बदलते दौर के साथ ही महिलाएं समूह में करवा चौथ का व्रत रखने लगी हैं। करवा चौथ पर दिन भर उपवास के बाद शाम को महिलाएं नई दुल्हन की तरह सजती-संवरती हैं। फिर पूजा करने के बाद बारी आती है चांद के दीदार की, जिसमें पत्नियां चांद और पति का दर्शन करके व्रत खोलती हैं। आइए जानते हैं इस साल चांद कितने बजे निकलेगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त-
17 अक्टूबर की शाम 05 बजकर 46 मिनट से शाम 07 बजकर 02 मिनट तक
कुल अवधि: 1 घंटे 16 मिनट
करवा चौथ चंद्रोदय समय-
इस बार करवा चौथ का चांद रात में 8 बजकर 15 मिनट पर निकलेगा।
करवा चौथ पर शुभ संयोग
इस बार का करवा चौथ का व्रत बेहद खास है। 70 साल बाद करवा चौथ पर इस बार शुभ संयोग बन रहा है। इस बार रोहिणी नक्षत्र के साथ मंगल का योग होना करवा चौथ को अधिक मंगलकारी बना रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा में रोहिणी का योग होने से मार्कण्डेय और सत्याभामा योग इस करवा चौथ पर बन रहा है। पहली बार करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए ये व्रत बहुत अच्छा है।
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