दुर्गा पूजा या नवरात्र, एक धार्मिक पर्व है, जिसे वर्ष में दो बार मनाया जाता है। यह पर्व नौ दिन तक चलता है जिसमें श्रद्धालु व्रत रखते है और देवी दुर्गा की आराधना करते हैं। हर पूजा की तरह दुर्गा का भी अलग इतिहास है। क्या आपको पता है कि दुर्गा पूजा क्यूं की जाती है? सबसे पहली बार दुर्गा पूजा किसने की थी?
इस बारे में कोई भी लिखित रिकॉर्ड नहीं है कि दुर्गा पूजा किसने और कब शुरू की है। किवंदंतियो और पौराणिक कथाओं के अनुसार, दुर्गा पूजा की शुरूआत भगवान राम ने की थी। नवरात्रि, साल में चैत्र और आश्विन माह में मनाई जाती है, जिसमें चैत्र में मनाई जाने वाली नवरात्रि मुख्य होती है। कहा जाता है कि सितम्बर – अक्टूबर माह यानि अश्विन में मनाई जाने वाली नवरात्रि पूजा की शुरूआत भगवान राम ने की थी, जब वह रावण से युद्ध करने जा रहे थे।
इस युद्ध को करने से पहले भगवान राम, मां दुर्गा का आर्शीवाद प्राप्त करना चाहते थे, ताकि वह लंका पर विजय पा सकें और अपनी पत्नी को रावण से मुक्त करा सकें। लेकिन इसके लिए वह और 6 महीने प्रतीक्षा नहीं कर सकते थे, इसलिए उन्होने बीच साल में ही देवी दुर्गा की पूजा कर दी, इसीलिए कई क्षेत्रों में इस माह की नवरात्रि को ‘अक्ल बोधान’ भी कहा जाता है, क्योंकि गलत माह में पूजा की जाती है।
इस पूजा में भगवान राम ने देवी दुर्गा को 108 कमल फूलों को अर्पित किया था और 108 दीयों को भी जलाया था। कहा जाता है कि इस पूजा के दौरान एक दानव ने उन 108 फूलों में से एक फूल को चोरी कर लिया था, तो भगवान ने पूजा पूरी करने के लिए उसकी एक आंख को चढ़ाने का विचार किया।
लेकिन इससे पहले ही देवी दुर्गा प्रकट हो गई और उन्होने भगवान राम को विजय का वरदान दिया। नवरात्रि के नवें दिन, भगवान राम ने रावण का वध कर दिया था। इस प्रकार आश्विन माह की नवरात्रि पूजा शुरू हुई।
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