आने वाली वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता हैं जो की इस बार 7 मई को पड़ रही हैं। इसी दिन गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था और उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। भगवान बुद्ध के दर्शन पर आधारित जीवन पद्धति की ही बौद्ध धर्म के रूप में जाना जाता हैं। भगवान बुद्ध मानते हैं कि जीवन दुखों का भंडार है और जीवन के प्रत्येक पक्षों में दुख समाहित है। वे दुख का मूल कारण इच्छा को मानते हैं। इच्छा ही व्यक्ति को भौतिक जीवन से बांधे रखती है। अगर कोई व्यक्ति अपनी इच्छा को मार ले तो वह मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है। भगवान बुध कहते हैं कि इच्छा को त्यागकर व्यक्ति द्वारा अष्ठ सूत्रीय मार्ग से मोक्ष को प्राप्त किया जा सकता है।
बुद्ध के आठ सूत्रीय मार्ग
– दयालुता, पूर्ण, सत्यवादी और उचित संभाषण
– निष्कपट, शांतिपूर्ण और उचित कर्म
– उचित आजीविका की खोज, जिससे किसी को हानि न हो
– उचित प्रयास और आत्म-नियंत्रण
– उचित मानसिक चेतना
– उचित ध्यान और जीवन के अर्थ पर ध्यान केन्द्रित करना
– निष्ठावान और बुद्धिमान व्यक्ति का मूल्य उसके उचित विचारों से है
– अंधविश्वास से बचना चाहिए और सही समझ विकसित करना चाहिए
भगवान बुद्ध के अनुसार, उनका दिखाया गया मध्यम मार्ग इन आठ सूत्रीय मार्ग की व्याख्या करता है, जो व्यक्ति को मोक्ष की ओर ले जाता है। भगवान बुद्ध वेदों की प्रमाणिकता को नकारते हैं। भगवान के महापरिनिर्वाण के बाद उनके दर्शन को संकलित करने के लिए 500 वर्षों तक बौद्ध धर्म की चार बौध संगति आयोजित की गई थीं। इसके फलस्वरूप त्रि-पटकों का लेखन हुआ – विनय, सुत्त और अभिधम्म। ये त्रिपट पाली भाषा में लिखे गए हैं।
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