December 20, 2024

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जानिए लाल किले का पूरा इतिहास

हमारे देश में यूं तो बहुत से ऐतिहासिक स्थल है, कई धार्मिक है तो कई परौणिक है। इस तरह का एक ऐतिहासिक स्थान है लाल किला, जो कि देश की महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है। राजनीतिक लिहाज से ये स्थान काफी महत्वपूर्ण है। हर साल 15 अगस्त को यहां से ही देश के प्रधानमंत्री झंडा फहराते है, लेकिन क्या आप लाल किला का इतिहास जानते है, नहीं तो आइए जानते है लाल किला का इतिहास।

किसने, कब बनवाया लाल किला

लाल किला वैसे तो देश का  इस विशाल लाल किला की लाल बालुई पत्‍थर की दीवारें जमीन से 33 मीटर ऊंची हैं जो मुगल शासकों की राजसी शक्ति और प्रताप की याद दिलाती है। लाल किले का निर्माण 1638 में मुगल साम्राज्य के पांचवे शासक शाहजहाँ ने अपने महल के रूप में करवाया था। इस किले का निर्माण सन् 1648 में जाकर पूरा हुआ था।

लाल किला पूरी तरह से लाल पत्थरों का बना हुआ है जिस कारण उसका नाम लाल किला पड़ा। 1639 में निर्मित इस प्राचीर का निर्माण मुख्‍यत: आक्रमणकारियों से बचाने के लिए किया गया था। लेकिन अब यह किला लोगों को शहर के शोर-शराबे से बचाता हैं। लाल किला में सन् 1857 तक तकरीबन 200 सालों तक मुगल साम्राज्य का निवास स्थान रहा। लाल किला दिल्ली में है।

मुगल शासनकाल में लाल किला मुख्य किले के रूप में था, इसके बाद ब्रिटिशों के लगभग सभी कार्यक्रम लाल किले में ही होते थे। सन् 1947 में भारत के आजाद होने के बाद ब्रिटिश सरकार ने यह किला भारतीय सेना के हवाले कर दिया था। इसके बाद यहां सेना का कार्यालय बना हुआ था। 22 दिसंबर 2003 को भारतीय सेना ने 56 साल पुराने अपने कार्यालय को हटाकर लाल किला खाली किया और एक समारोह में पर्यटन विभाग को सौंप दिया।

और मौजूदा समय में भारत के लिए भी यह स्थान एक महत्वपूर्ण स्थान है, यहां पर हर साल 15 अगस्त को देश के आजादी के उपलक्ष्य में कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। यह किला भी ताजमहल और आगरे के क़िले की भांति ही यमुना नदी के किनारे पर स्थित है।

किले के मुख्य स्थान

लाहौरी गेट लाल मुख्‍य द्वारा है जो आधुनिक भारत देश की भावनात्‍मक प्रतीक का परिचायक है जहां स्‍वतंत्रता दिवस पर हजारों की संख्‍या में लोग एकत्रित होते हैं। मेहराबी पथ वाले छत्‍ता चौक बाजार में सस्‍ती चीजें मिलती हैं। यह मार्ग किले के वृहत प्रागंण की तरफ जाता है।

इसके अंदर कई महत्‍वपूर्ण इमारतें जैसे – ड्रम हाउस, दीवान-ए-खास, दीवान-ए-आम, मोतिया मस्जिद, शाही हमाम तथा रंग महल स्‍थापित किए गए हैं।

सायंकाल में यहां किले से संबंधित और भारतीय इतिहास की घटनाओं को “लाइट एंड साउंड” के रूप में दिखाया जाता है। इस ऐतिहासिक किले को 2007 में युनेस्को द्वारा एक विश्व धरोहर स्थल चयनित किया गया था।

लाल किले में आपको उच्चस्तर की कला एवं विभूषक कार्य दृश्य देखने को मिल जाएंगे। यहाँ की कलाकृतियाँ फारसी, यूरोपीय एवं भारतीय कला का मिश्रण है, जिसका परिणाम विशिष्ट एवं अनुपम शाहजहानी शैली था। यह शैली रंग, अभिव्यंजना एवं रूप में उत्कृष्ट है। लालकिला भारतीय इतिहास एवं उसकी कलाओं को अपने में समेटे हुए है। इसका महत्व समय की सीमाओं से बढ़कर है। यह वास्तुकला सम्बंधी प्रतिभा एवं शक्ति का प्रतीक है। सन 1913 में इसे राष्ट्रीय महत्व के स्मारक घोषित कर दिया गया था।

इसकी दीवारें, काफी सुचिक्कनता से तराशी गईं हैं। ये दीवारें दो मुख्य द्वारों पर खुली हैं ― दिल्ली दरवाज़ा एवं लाहौर दरवाज़ा। लाहौर दरवाज़े इसका मुख्य प्रवेश द्वार है। तो हमें आशा है कि इस लेख से आपको लाल किले के बारें में कुछ अनसुनी बातों के बारें में जानकारी मिली है।