अमेरिका को अपना 46वां और सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति मिल गया है। 78 साल के जो बाइडेन ने कैपिटल हिल पर 128 साल पुरानी बाइबिल पर हाथ रखकर राष्ट्रपति पद की शपथ ली। इस वक्त उनकी पत्नी जिल बाइडेन ने बाइबिल हाथ में उठा रखी थी। जो बाइडन ने सत्ता संभालते ही एक्शन मोड़ में आ गए है। सबसे पहले उन्होंने मास्क पहनने को जरूरी किए जाने वाले ऑर्डर पर साइन किए और जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से लड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय पेरिस जलवायु समझौते (International Paris Climate Agreement) में अमेरिका की वापसी की घोषणा भी की। गौरतलब है कि इस समझौते से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अगस्त 2017 में बाहर होने का एलान किया था। ट्रंप का कहना था कि ये समझौता अमेरिका के हित में नहीं है। अमेरिका इसके लिए हर वर्ष अरबों डॉलर की राशि देता है जबकि इससे उसको कुछ हासिल नहीं होता है। उन्होंने इस बात पर भी नाराजगी जताई थी कि इस समझौते से भारत और चीन जैसे देशों को फायदा हो रहा है। इससे पूर्व 3 नवंबर 2016 को तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। दरअसल, राष्ट्रपति बाइडन ने आते ही अपने तेवर से साफ कर दिया है कि वो पूर्व राष्ट्रपति के कुछ और फैसलों को भी पलटने वाले हैं। हालांकि इस बात का एलान वो अपनी चुनावी सभाओं में भी कर चुके हैं। इसके साथ ही बाइडेन ने 7 मुस्लिम देशों इराक, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान, सीरिया और यमन पर लगा ट्रैवल बैन हटा दिया। ट्रम्प ने 2017 में यह बैन अपने कार्यकाल के पहले हफ्ते लगाया था। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी गया था, जिसे 2018 में कोर्ट ने बरकरार रखा था। ऐसे में कुछ ऐसे समझौते या फैसले बेहद अहम हैं जिनपर बाइडन जल्द ही फैसला ले लेंगे।
ईरान परमाणु डील
ईरान परमाणु डील को पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी सबसे बड़ी उपलब्धियों में शामिल किया था। ये समझौता वर्ष 2015 में हुआ था। इसके तहत ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करना था, जिसके एवज में उसको प्रतिबंधों से छूट मिलनी थी। इस समझौते पर अमेरिका और ईरान के अलावा फ्रांस, ब्रिटेन, रूस, चीन और जर्मनी ने भी हस्ताक्षर किए थे। उनका कहना था कि इस समझौते के बाद मध्य-पूर्व में शांति कायम रहेगी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल में इस समझौते पर ये कहते हुए सवाल उठाए थे कि इससे अमेरिका को कुछ हासिल नहीं हुआ है। इतना ही नहीं उन्होंने इसके लिए ओबामा प्रशासन के लिए काफी तीखे शब्दों का भी इस्तेमाल किया था।
इसके बाद 2018 में उन्होंने बड़ा फैसला लेते हुए ईरान परमाणु समझौते से अमेरिका को अलग करने का एलान किया था। उनका कहना था कि वो इस संबंध में ईरान से दूसरा समझौता करने के इच्छुक हैं। इसके बाद वर्ष 2019 में ईरान ने भी इस समझौते से खुद को अलग करते हुए अपने परमाणु कार्यक्रम को दोबारा गति देने का एलान कर दिया था। दोनों ही देशों के परमाणु समझौते से अलग होने के बाद न सिर्फ मध्य-पूर्व में तनाव कायम रहा बल्कि अमेरिका और ईरान के संबंध भी खराब हो गए थे।
लेकिन जो बाइडन ने चुनाव प्रचार के दौरान साफ कर दिया था कि वो ईरान से परमाणु समझौते के तहत दोबारा जुड़ेंगे। अब जबकि वो राष्ट्रपति बन चुके हैं तो देखना ये होगा कि कितने दिन में वो इसको लेकर बड़ा फैसला लेते हैं।
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