पितृपक्ष जारी हैं जो कि 6 अक्टूबर तक जारी रहने वाले हैं। इन दिनों में पितरों की आत्मा की संतृप्ति के लिए उन्हें भोग लगाया जाता हैं। पितरों को भी देवताओं की तरह समर्थवान माना गया है जिनके आशीर्वाद से जीवन संवर जाता है और नाराजगी जीवन में आने वाली परेशानियों का कारण बनती हैं। ऐसे में पितृपक्ष के इन दिनों में ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जो पितरों को नाराज करें। आज इस कड़ी में हम आपको उन्हीं कामों के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
इन बर्तनों का प्रयोग न करें
पितरों की पूजा के दौरान खास बातों का ध्यान रखना चाहिए। भूलकर भी पितृपक्ष में लोहे के बर्तनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि पितरों के लिए जो भोजन तैयार किया जाता है या फिर जिसमें भोजन परोसा जाता है, उसमें लोहे के बर्तनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से पितर नाराज हो जाते हैं और परिवार की सुख-शांति और समृद्धि पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए इस दौरान आप तांबा, पीतल या अन्य धातु के बर्तनों का प्रयोग कर सकते हैं।
न करें कोई भी शुभ कार्य
पितृ पक्ष पितरों को याद और उनकी पूजा करने का समय है। इसलिए परिवार में एक तरफ से शोकाकुल माहौल रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करने से बचना चाहिए और नई वस्तु की खरीदारी भी नहीं करनी चाहिए, ऐसा करना अशुभ बताया गया है।
इन बातों का रखें ध्यान
पितृपक्ष में अगर पूर्वजों का श्राद्ध कर रहे हैं तो शरीर पर तेल का प्रयोग और पान का सेवन करने से बचना चाहिए। साथ ही अगर संभव हो सके तो दाढ़ी और बाल भी नहीं कटवाने चाहिए और इस दौरान इत्र का प्रयोग करना भी शास्त्रों में वर्जित माना गया है। ऐसा करने से पितर नाराज होते हैं, जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
किसी का भी न करें अपमान
पितृपक्ष के समय भूलकर भी किसी का भी अपमान नहीं करना चाहिए। पता नहीं पितर किसी रूप में आपके दरवाजे पर आ जाएं और आपके व्यवहार से उनको ठेस पहुंच जाए। इसलिए न तो जानवर और न ही किसी इंसान का इन दिनों अपमान करना चाहिए, इसको अपनी आदत भी बना लें। अगर आपके दरवाजे पर कोई भिखारी या अन्य व्यक्ति आया है तो उसे बिना भोजन करवाए नहीं भेजना चाहिए।
ऐसा भोजन नहीं करना चाहिए
पितृपक्ष के समय हमेशा सात्विक भोजन करना उत्तम माना गया है क्योंकि इसी भोजन से पितरों का भोग लगाया जाता है। भूलकर भी प्याज व लहसुन से बने भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। अगर आपको अपने पूर्वज की मृत्यु तिथि याद नहीं है तो पितृ पक्ष के अंतिम दिन पिंडदान या तर्पण विधि कर पूजा-अर्चना कर सकते हैं। ऐसा करने से सभी दोषों से मुक्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
क्रोध करने से बचें
पितृपक्ष की अवधि में अपने मन, वाणी और तन पर पूरा संयम रखना चाहिए। भूलकर भी इन दिनों किसी को भी मन और वाणी से बुरा नहीं बोलना चाहिए और न ही बुरे कर्म करने चाहिए। यह समय पितरों को याद करने का है इसलिए वाद-विवाद और बहसबाजी से दूरी बनाकर रखना चाहिए। ऐसा करने से पितर नाराज होते हैं कि उनके घर के लोग आपस में झगड़ रहे हैं इसलिए इन दिनों प्रेम भाव से रहना चाहिए ताकि पितरों की कृपा हमेशा बनी रहे।
ब्रह्मचर्य का पूरी तरह पालन करें
पितृपक्ष में पितरों के नाम का जप, तप और दान का विशेष महत्व है। इन दिनों मन पर संयम रखकर उनका ध्यान किया जाता है और मन को पवित्र रखा जाता है। इसलिए पति-पत्नी दोनों को शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पूरी तरह पालन करना चाहिए। पितृपक्ष में पितर घर में ही निवास करते हैं इसलिए उनको नाराज करना सही नहीं रहेगा। ऐसा करने से कई तरह के कष्टों का सामना करना पड़ता है।
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। VisitorPlaces Team हिंदी इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले विशेषज्ञ से संपर्क जरुर करें।)
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