December 20, 2024

Visitor Place of India

Tourist Places Of India, Religious Places, Astrology, Historical Places, Indian Festivals And Culture News In Hindi

लक्ष्मण-शूर्पणखा प्रसंग : जानिए किस पुरुष की कौन सी इच्छा कभी पूरी नहीं हो सकती !

हर इंसान की कुछ इच्छाएं होती हैं और उन्हें पूरा करने के लिए वे प्रयास भी करते हैं। कुछ इच्छाएं तो पूरी हो जाती हैं, लेकिन कुछ अधूरी ही रह जाती हैं। यहां जानिए ऐसी इच्छाओं के विषय में जो कुछ लोग कभी भी पूरी नहीं कर सकते हैं। इन असंभव इच्छाओं के विषय में लक्ष्मण ने शूर्पणखा को बताया था।

गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीराम चरित मानस के अरण्यकाण्ड में जब शूर्पणखा लक्ष्मण के सामने प्रणय का प्रस्ताव रखती है तब लक्ष्मण कहते हैं कि-

सुंदरि सुनु मैं उन्ह कर दासा। पराधीन नहिं तोर सुपासा।।
प्रभु समर्थ कोसलपुर राजा। जो कछु करहिं उनहि सब छाजा।।

इस दोहे में लक्ष्मण शूर्पणखा से कहते हैं कि हे सुंदरी। मैं तो श्रीराम का सेवक हूं, मैं पराधीन हूं, अत: मुझे जीवन साथी बनाकर तुम्हें सुख प्राप्त नहीं होगा। तुम श्रीराम के पास जाओ, वे ही सभी काम करने में समर्थ हैं।

सेवक सुख चह मान भिखारी। ब्यसनी धन सुख गति विभिचारी।।
लोभी जसु चह चार गुमानी। नभ दुहि दूध चहत ए प्रानी।।

इस दोहे में लक्ष्मण ने 6 ऐसे पुरुषों के विषय में बात की है, जिनकी कुछ इच्छाएं पूरी होना असंभव ही है।

पहला पुरुष है सेवक-

यदि कोई सेवक सुख चाहता है तो उसकी यह इच्छा कभी भी पूरी नहीं हो सकती है। सेवक को सदैव मालिक यानी स्वामी की इच्छाओं को पूरा करने के लिए तत्पर रहना होता है। अत: वह स्वयं के सुख की कल्पना भी नहीं कर सकता।

दूसरा पुरुष है भिखारी-

यदि कोई भिखारी ये सोचे कि उसे समाज में पूर्ण मान-सम्मान मिले, सभी लोग उसका आदर करे तो यह इच्छा कभी भी पूरी नहीं हो सकती है। भिखारी को सदैव लोगों की ओर से धिक्कारा ही जाता है, उन्हें हर बार अपमानित ही होना पड़ता है।

तीसरा पुरुष है व्यसनी यानी नशा करने वाला

यदि कोई व्यसनी (जिसे जूए, शराब आदि का नशा करने की आदत हो) यह इच्छा करे कि उसके पास सदैव बहुत सारा धन रहे तो यह इच्छा कभी पूरी नहीं हो सकती है। ऐसे लोगों के पास यदि कुबेर का खजाना भी हो तो वह भी खाली हो जाएगा। ये लोग सदैव दरिद्र ही रहते हैं। नशे की लत में अपना सब कुछ लुटा देते हैं।

चौथा पुरुष है व्यभिचारी

शास्त्रों के अनुसार व्यभिचार को भयंकर पाप माना गया है। यदि कोई पुरुष अपनी पत्नी के प्रति वफादार नहीं है और अन्य स्त्रियों के साथ अवैध संबंध रखता है तो उसे कभी भी सद्गति नहीं मिल सकती। ऐसे लोग का अंत बहुत बुरा होता है। जिस समय इनकी गुप्त बातें प्रकट हो जाती हैं, तभी इनके सारे सुख खत्म हो जाते हैं। साथ ही, ऐसे लोग भयंकर पीड़ाओं को भोगते हैं।

पांचवां पुरुष है लोभी यानी लालची

जो लोग लालची होते हैं, वे हमेशा सिर्फ धन के विषय में ही सोचते हैं, उनके लिए यश की इच्छा करना व्यर्थ है। लालच के कारण घर-परिवार और मित्रों को भी महत्व नहीं देते। धन की कामना से वे किसी का भी अहित कर सकते हैं। इस कारण इन्हें यश की प्राप्ति नहीं होती है। अत: लोभी इंसान की यश पाने की इच्छा कभी भी पूरी नहीं हो सकती है।

छठां पुरुष है अभिमानी

यदि कोई व्यक्ति घमंडी है, दूसरों को तुच्छ समझता है और स्वयं श्रेष्ठ तो ऐसे लोगों को जीवन में कुछ भी प्राप्त नहीं हो पाता है। आमतौर पर ऐसे लोग चारों फल- अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष, एक साथ पाना चाहते हैं, लेकिन यह इच्छा पूरी होना असंभव है। शास्त्रों में कई ऐसे अभिमानी पुरुष बताए गए हैं, जिनका नाश उनके घमंड के कारण ही हुआ है। रावण और कंस भी वैसे ही अभिमानी थे।

आगे का प्रसंग इस प्रकार है-

श्रीरामचरित मानस में आगे लिखा है-

पुनि फिरि राम निकट सो आई। प्रभु लछिमन पहिं बहुरि पठाई।।
लक्षिमन कहा तोहि सो बरई। जो तृन तोरि लाज परिहरई।।

इस दोहे में तुलसीदासजी ने लिखा है कि लक्ष्मण ने जब इस प्रकार शूर्पणखा को समझाया तो वह श्रीराम के पास गई और उनके सामने प्रणय का प्रस्ताव रखा। श्रीराम ने इस प्रस्ताव को अपनाने से इंकार किया और शूर्पणखा को पुन: लक्ष्मण के पास ही भेज दिया।

लक्ष्मण ने शूर्पणखा से कहा कि तुम्हारा वरण वही इंसान कर सकता है जो लज्जा यानी शर्म को त्याग सकता है। यानी कोई बेशर्म इंसान ही तुम्हारे प्रणय प्रस्ताव को स्वीकार कर सकता है।

तब खिसिआनि राम पहिं गई। रूप भयंकर प्रगटत भई।।
सीतहि सभय देखि रघुराई। कहा अनुज सन सयन बुझाई।।

लक्ष्मण द्वारा यह बात सुनकर रावण की बहन शूर्पणखा पुन: श्रीराम के पास गई और भयंकर राक्षसी रूप धारण कर लिया। इस रूप को देखकर सीता भयभीत हो गईं तब श्रीराम ने लक्ष्मण को इशारा किया कि वह शूर्पणखा को दंड दे।