नई दिल्ली। इस वक्त चैत्र नवरात्र चल रहे हैं, इन दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। मां दुर्गा शक्ति की मानक हैं। जो कि बहुत सरस रूप वाली हैं। दुर्गा की तुलना परम ब्रह्म से की जाती है। दुर्गा को आदि शक्ति, प्रधान प्रकृति, गुणवती माया, बुद्धितत्व की जननी और विकार रहित बताया गया है। वह अंधकार और अज्ञानता रुपी राक्षसों से रक्षा करने वाली और कल्याणकारी हैं। उनके बारे में मान्यता है कि वे शान्ति, समृद्धि पर आघात करने वाली राक्षसी शक्तियों का विनाश करतीं हैं।
चलिए मां के इस रूप के बारे में जानते हैं विस्तार से..
वेदों में तो दुर्गा का व्यापाक उल्लेख
वेदों में तो दुर्गा का व्यापाक उल्लेख है, किन्तु उपनिषद में देवी “उमा हैमवती” (उमा, हिमालय की पुत्री) का वर्णन है।
पुराण में दुर्गा को आदिशक्ति माना गया
- पुराण में दुर्गा को आदिशक्ति माना गया है।
- इसी आदि शक्ति देवी ने ही सावित्री(ब्रह्मा जी की पहली पत्नी), लक्ष्मी, और पार्वती(सती) के रूप में जन्म लिया और उसने ब्रह्मा, विष्णु और महेश से विवाह किया था।
- तीन रूप मिलकर दुर्गा (आदि शक्ति) को पूरा करते हैं।
दुर्गा सप्तशती के अनुसार इनके अन्य स्वरूप भी हैं…
ब्राह्मणी ,महेश्वरी,कौमारी ,वैष्णवी ,वाराही,नरसिंही,ऐन्द्री ,शिवदूती ,भीमादेवी ,भ्रामरी ,शाकम्भरी ,आदिशक्ति ,रक्तदन्तिका
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