दस्तावेजों के अनुसार, आमेर महल का निर्माण महाराजा सवाई मानसिंह ने वर्ष 1592 में आरंभ कराया था। इस महल का निर्माण कई चरणों में कई पीढ़ियों ने कराया। कहा जाता है कि इसे बनने में 100 साल से भी अधिक लगे। इसका निर्माण कार्य माहाराजा मानसिंह ने आरंभ किया था। अकबर के दाएं हाथ माने जाने वाले महाराजा मान सिंह बादशाह अकबर कि सेना में मुख्य सेनापति और उनके नौ रत्नों में से एक थे। उनके बाद राजा जयसिंह प्रथम ने आमेर महल के अन्य हिस्सों का निर्माण कराया। आगे देखें माचिस की एक तीली से रोशन हो जाता था यहां का शीश महल..
राजस्थान की राजधानी जयपुर जिसे भारत का पेरिस कहा जाता है, किले महलों की एक फेमस नगरी भी है। प्राचीन समय में राजपूताना के नाम से विख्यात राजस्थान अपनी सुंदरता के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। यहां के स्थलों में इसकी समृद्ध ऐतिहासिक विरासत की भव्यता झलकती हैं।
यही कारण है कि यहां आने वाला हर देशी-विदेशी पर्यटक अपने साथ सुनहरी यादें समेटकर ले जाता है। राजपूताना के राजसी ठाटबाट की झलक दर्शाने वाले प्रमुख ऐतिहासिक किलों एवं महलों में से एक है आमेर का महल।
यह अपनी विशालता, भव्यता और सुंदरता के कारण दुनिया के गिने-चुने दुर्गों में से एक माना जाता है। मावठा झील के किनारे बने इस महल के प्रवेश द्वार की भव्यता को देखकर ऐसा लगता है मानो सोने की प्लेट पर हीरे मोती जड़ दिए हों और उन्हें पत्थर की दीवार पर सजा दिया गया हो। इसकी सुंदरता इतनी थी कि राजा 12 रानियों के साथ यहीं रहता था। इसके चर्चे दूर-दूर तक हैं। इस खूबसूरत महल के फोटोज में इसकी भव्यता निहारें…
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