December 20, 2024

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एक अनोखी मस्जिद जहां मुस्लिम नहीं, हिंदू अदा करते हैं पांच वक्त की नमाज !

एक अनोखी मस्जिद जहां मुस्लिम नहीं, हिंदू अदा करते हैं पांच वक्त की नमाज !

मस्जिद मुस्लिम सम्प्रदाय का प्रमुख धार्मिक स्थल हैं जहां इबादत की जाती हैं और नमाज अदा की जाती हैं। मुस्लिम समुदाय द्वारा दिन में 5 वक्त की नमाज अदा की जाती हैं। लेकिन आज इस कड़ी में हम आपको एक ऐसी अनोखी मस्जिद के बारे में बताने जा रहे हैं जहां मुस्लिम नहीं बल्कि हिन्दू पांच वक्त की नमाज अदा करते हैं। बिहार के नालंदा जिले का एक गांव हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश कर रहा है। यह जानकर किसी को भी आश्चर्य होगा कि इस गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं है, परंतु यहां स्थित एक मस्जिद में नियमानुसार पांच वक्त की नमाज अदा की जाती है और अजान होती है। यह सब कुछ हिंदू समुदाय के लोग करते हैं।

नालंदा जिले के बेन प्रखंड के माड़ी गांव में सिर्फ हिन्दू समुदाय के लोग रहते हैं। लेकिन यहां एक मस्जिद भी है। और यह मस्जिद मुसलमानों की अनुपस्थिति में उपेक्षित नहीं है, बल्कि हिंदू समुदाय इसकी बाकायदा देख-रेख करता है, यहां पांचों वक्त नमाज अदा करने की व्यवस्था करता है। मस्जिद का रख-रखाव, रंगाई-पुताई का जिम्मा भी हिंदुओं ने उठा रखी है।

गांव वासी बताते हैं कि वर्षों पूर्व यहां मुस्लिम परिवार रहते थे, परंतु धीरे-धीरे उनका पलायन हो गया और इस गांव में उनकी मस्जिद भर रह गई है। “हम हिंदुओं को अजान तो आती नहीं है, परंतु पेन ड्राईव की मदद से अजान की रस्म अदा की जाती है।” गांव वालों का कहना है कि यह मस्जिद उनकी आस्था से जुड़ी हुई है। किसी शुभ कार्य से पहले हिंदू परिवार के लोग इस मस्जिद में आकर दर्शन करते हैं।

इस मस्जिद का निर्माण कब और किसने कराया, इसे लेकर कोई स्पष्ट प्रमाण तो नहीं है, परंतु स्थानीय लोगों का कहना है कि उनके पूर्वजों ने जो उन्हें बताया है, उसके मुताबिक यह करीब 200-250 साल पुरानी है। मस्जिद के सामने एक मजार भी है, जिस पर लोग चादरपोशी करते हैं।

गांव के एक पंडित कहते हैं, “मस्जिद में नियम के मुताबिक सुबह और शाम सफाई की जाती है, जिसका दायित्च यहीं के लोग निभाते हैं। गांव में कभी भी किसी परिवार के घर अशुभ होता है तब वह परिवार मजार की ओर ही दुआ मांगने पहुंचता है।” बहरहाल, माड़ी गांव की इस मस्जिद से भले ही मुस्लिमों का नाता-रिश्ता टूट गया हो, परंतु हिंदुओं ने इस मस्जिद को बरकरार रखा है।