कानपुर। बहुचर्चित बिकरू कांड के आरोपी विकास दुबे को पुलिस ने कथित एनकाउंटर में मार गिराया था। अब विकास दुबे को संरक्षण देने वाले पुलिसकर्मियों पर शिकंजा कसने की तैयारी है। कानपुर देहात के तीन थानों के पुलिसकर्मियों की भूमिका की जांच शुरू हो गई है। विकास दुबे और उसके गुर्गों ने इन थाना क्षेत्रों में पनाह ली थी और पुलिस ने उन्हें खोजने में बेहद लापरवाही की। एसटीएफ ने इसे लेकर एक रिपोर्ट आईजी रेंज को सौंपी। इस पर आईजी रेंज ने एएसपी कानपुर देहात को जांच सौंप दी है।
बिकरू कांड में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने के बाद विकास दुबे और उसके गुर्गे शिवली, मंगलपुर और रसूलाबाद थानाक्षेत्रों में रुके थे। वहीं पर विकास दुबे बाइक से भी घूम आया और पुलिस उसे पकड़ने में नाकाम रही थी। इस बात का खुलासा तब हुआ जब एसटीएफ ने उनकी मदद करने वाले छह आरोपितों को पकड़कर असलहों का जखीरा बरामद किया। तब पता चला कि वारदात को अंजाम देने के बाद विकास, अमर दुबे और प्रभात मिश्रा पहले शिवली में रुके थे। वहां से रसूलाबाद गए और मंगलपुर में दो दिनों तक रहे। पांच जुलाई को वे यहां से रवाना हुए। एसटीएफ ने इस पूरे मामले की रिपोर्ट आईजी को भेजी।
आईजी मोहित अग्रवाल ने बताया कि सोमवार को कानपुर देहात के एएसपी घनश्याम चौरसिया को जांच दी गई। जांच की जद में उन तीनों थानों के पुलिसकर्मी हैं जिनके क्षेत्रों में आरोपितों ने पनाह ली थी। इस मामले में 70 से अधिक पुलिसकर्मी पहले से जांच की जद में हैं। इनमें वे चार पुलिसकर्मी भी शामिल हैं, जो शिवली में मददगार रामजी के पड़ोस में रहते हैं।
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