शादियों का सीजन हैं लेकिन कोरोना वायरस के चलते लॉक डाउन किया गया हैं। ऐसे में लोग शादियों को स्थगित ही कर रहे हैं। शादियों के अपने रिवाज होते हैं जो जगह के अनुसार बदलते रहते हैं और उनमें अनोखापन आता रहता हैं। इसी के चलते कई शादियाँ अपनी अनोखी विशेषता के लिए जानी जाती हैं। आज इस कड़ी में हम आपको एक ऐसी जनजाति के बारे में बताने जा रहे हैं जहां दूल्हा नहीं बल्कि दुल्हन बारात लेकर जाती हैं। बता दे कि छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में निवासरत माड़िया जनजाति की आदिम संस्कृति आज भी जीवंत है। इस संस्कृति की कई विशिष्टताएं हैं। इन्हीं में से एक है विवाह की परंपरा। इस जनजाति में दुल्हन अपनी बारात लेकर दूल्हे के घर जाती है। आदिवासी बहुल बस्तर संभाग में 44 सौ वर्ग किमी मेें विस्तृत अबूझमाड़ के जंगल आज भी अबूझ ही बने हुए हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि ऊंचे पहाड़ों, सघन वनों, कल कल बहते झरनों और नदियों से घिरे अबूझमाड़ में माड़िया जनजाति निवास करती है। भारत सरकार द्वारा विशेष रूप से संरक्षति माड़िया जनजाति ने आज भी अपनी पुरातन संस्कृति और परंपराओं को सहेजकर रखा है।
आदिम संस्कृति की इस अनोखी जाती को दो उपजातियों में विभक्त किया गया है। अबुझमाड़िया व बायसन हार्न माड़िया। अबुझमाड़िया जनजाति ऊंचे पहाड़ी इलाकों में पाई जाती है जबकि बायसन हार्न माड़िया इंद्रावती नदी के किनारे के इलाकों में पाए जाते हैं। बता दे कि बायसन हार्न जनजाति का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि ये परंपरागत नृत्य के दौरान बायसन की सींग लगाकर नाचते हैं। परंपराओं में इन दोनों उपजातियों में कोई खास फर्क नहीं है। अबुझमाड़िया जनजाति की चर्चा हमेशा से वैवाहिक शिक्षा व परंपराओं के लिए होती रही है। इन पर नृजातीय अध्ययन के प्रयास सदियों से किए जाते रहे हैं।
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