कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया में 3825 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं दुनिया में 108,610 लोग इस वायरस से संक्रमित हो गए है। चीन के बाद कोरोना वायरस की वजह से जिस देश को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है वे इटली है। इटली में कोरोनो वायरस की वजह से 133 लोगों की मौत हुई है। कोरोनो वायरस के 1,492 नए मामले सामने आए हैं। इस तरह इटली में कुल 7,375 मामले हो गए हैं और मृतकों की संख्या 366 हो गई है। नागरिक सुरक्षा एजेंसी ने कहा कि अधिकांश मौतें उत्तरी इटली में लोम्बार्डी क्षेत्र में हुई हैं। इसके अलावा कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के अपने प्रयासों के तहत देश भर के सिनेमाघरों, थियेटरों और संग्रहालयों को बंद रखने का आदेश दिया गया है। सरकारी वेबसाइट पर प्रकाशित आदेश के मुताबिक उत्तरी इटली के कई इलाकों में 1.5 करोड़ लोगों को जबरन घरों में बंद रखने के अलावा सरकार ने देश भर में स्कूलों, नाइट क्लबों और कसीनो को भी बंद कर दिया है।
कोरोना वायरस की वजह से ईरान में 194 और दक्षिण कोरिया में 50 लोगों की मौत हो चुकी है। यूरोपियन यूनियन और अमेरिका भी चीन से निकली बीमारी से परेशान है। अब एक बड़ी खुशखबरी आई है। अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के वैज्ञानिक अगले माह से इंसानों पर कोरोना वायरस के वैक्सीन का परीक्षण यानी ह्यूमन ट्रायल करेंगे। यानी इन्होंने मिलकर कोरोना का दवा यानी वैक्सीन बना लिया है। अगले माह यानी अप्रैल से यूके और अमेरिका में कोरोना वायरस के वैक्सीन यानी टीके के जो इंसानी परीक्षण शुरु होंगे, उसे यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन और अमेरिकी दवा कंपनी मॉडर्ना और इनवोइओ ने मिलकर बनाया है।
डेली मेल में प्रकाशित खबर के अनुसार अगर इंसानों पर कोरोना के वैक्सीन का परीक्षण सफल होता है तो उस टीके से दुनिया भर के कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का इलाज किया जाएगा।
यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन से संबंधित इंपीरियल कॉलेज के वैज्ञानिक और अमेरिकी दवा कंपनी दोनों अप्रैल से इंसानी परीक्षण के लिए तैयार है। अमेरिकी दवा कंपनियों ने कहा है कि इस संयुक्त ह्यूमन ट्रायल के अलावा अपनी तरफ से भी इंसानों पर परीक्षण करेंगे। इंपीरियल कॉलेज लंदन के वैज्ञानिक प्रोफेसर रॉबिन शैटॉक ने कहा कि कोई भी वैक्सीन शुरुआती दौर में वायरस को सिर्फ रोक सकती है। ताकि बीमारी ज्यादा फैले न। इंसानी शरीर में ही बेहद कमजोर हो जाए। इसके बाद ऐसी वैक्सीन खोजी जाती है जो इंसान के शरीर में मौजूद वायरस को खत्म कर दे। या इंसानी कोशिकाओं को वायरस से लड़ने और हराने के लायक बना दे।
प्रो. रॉबिन शैटॉक ने बताया कि अगर इंसानों पर शुरुआती परीक्षण सफल रहे तो हम उन देशों में दवाइयां भेजेंगे जहां सच में लोग कोरोना से संक्रमित है। ताकि लोगों का इलाज हो सके। अमेरिकी दवा कंपनी इनवोइओ ने कहा है अगर कोरोना के वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल सफल होता है तो हम इस साल के अंत तक 10 लाख दवाएं बनाकर पूरी दुनिया बांट देंगे।
प्रो. रॉबिन शैटॉक ने बताया कि सामान्य तौर पर किसी भी बीमारी का वैक्सीन बनने में 5 साल तक का समय लगता है। लेकिन इस बार हमने रिकॉर्ड तोड़ समय पर कोरोना का वैक्सीन बनाया है। हमने इतनी लंबी प्रक्रिया को बेहद जल्द पूरा कर लिया है। वैक्सीन बनाने में हमें सिर्फ 4 महीने लगे। अब उम्मीद बस ह्यूमन ट्रायल के सफल होने से लगाई जा सकती है।
जो वैक्सीन बनाई गई है उसमें 2003 में फैली महामारी सार्स की दवा को भी मिलाया गया है। ताकि ये भी पता चल सके कि नए कोरोना वायरस पर इस वैक्सीन का क्या असर होता है।
100 साल के बुजुर्ग ने दी कोरोना वायरस को मात
चीन के वुहान शहर से एक 100 साल के बुजुर्ग ने कोरोना का मात दे दी है। वो पूरी तरह रिकवर हो चुके हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। इस मरीज के इलाज की खास बात यह है कि आधुनिक दवाओं के साथ साथ पारंपरित चिकित्सा पद्धति का भी इस्तेमाल किया गया है। शिन्हुआ के मुताबिक शख्स को शनिवार को वुहान के एक अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। वुहान में सबसे ज्यादा मरीज पाए गए थे। सबसे बड़ी बात यह है कि कोरोना के संक्रमण से मुक्त यह शख्स सबसे उम्रदराज शख्स भी बन गए। 24 फरवरी को हुबेई के मैटरनिटी ऐंड चाइल्ड हेल्थ केयर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। फ्लू जैसी सांस की बीमारी के अलावा इस बुजुर्ग मरीज को अल्जाइमर, हाई ब्लडप्रेशर और दिल से जुड़ी बीमारी थी। 13 दिनों की जांच और ट्रीटमेंट के बाद अस्पताल से छुट्टी मिली। इलाज के दौरान उन्हें एंटी-वायरल दवाओं के साथ साथ घरेलू दवाओं का भी इस्तेमाल किया गया।
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