अमृतसर का स्वर्ण मंदिर सिखों का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है. यहाँ ना सिर्फ सिख बल्कि भारी संख्या में अन्य धर्मों के लोगभी अपनी मन्नतें पूरी करवाने जरुर जाते हैं. कहाँ जाता है कि जो भी सच्चे दिल से यहाँ जाता है उसकी मुराद जरुर पूरी होती है.
लेकिन आस्था के अलावा भी स्वर्ण मंदिर की अनसुनी बातें हैं जिनसे आज भी काफी लोग अनजान हैं.
तो आइये आज हम आपको स्वर्ण मंदिर की अनसुनी बातें बताते हैं-
स्वर्ण मंदिर की अनसुनी बातें –
1. आपको निश्चित रूप से नहीं मालूम होगा कि स्वर्ण मंदिर को लुटने के मन से ही 19 वी सदी में अफगानी हमलावरों ने इसको नष्ट कर दिया था. यह स्थल उन दिनों भी देश-विदेश में काफी ख्याति प्राप्त था.
2. महाराजा रणजीत ने दुबारा जब हरमिंदर साहिब को बनाया तो पहले से भी काफी अच्छा बनाया था. जब यहाँ दीवारों पर सोने की परत चढ़ाई गयी तो यहाँ का नाम स्वर्ण मंदिर, अधिक विख्यात हुआ था.
3. आज धर्म के नाम पर समाज बेशक बंट गया है किन्तु भारत ने एक समय ऐसा भी देखा है जब धर्म तोड़ने का नहीं बल्कि जोड़ने का काम करता था. स्वर्ण मंदिर उसी की निशानी है. कहते हैं कि स्वर्ण मंदिर की नींव मुस्लिम संत साईं मियान मीर ने रखी थी.
4. गुरूद्वारे जाने पर आप यहाँ की बनावट पर जरुर गौर करें. ऐसा बताया जाता है कि स्वर्ण मंदिर का नक्शा आज से कुछ 400 से भी ज्यादा साल पहले बनाया गया था. गुरु अर्जुन देव जी ने मंदिर का नक्शा तैयार किया था.
5. इतिहास में यह भी एक अध्याय है कि स्वर्ण मंदिर बनाने के लिए जमीन मुस्लिम शासक अकबर ने दान दी थी. अकबर खुद चाहता था कि स्वर्ण मंदिर जैसा कोई धार्मिक स्थल भारत में जरुर बने.
6. आज स्वर्ण मंदिर में होने वाला भंडारा भी अपने में एक रहस्य है. यहाँ हर रोज कुछ 40 से 50 हजार भक्तों को भोजन कराया जाता है.
7. स्वर्ण मंदिर में जो अमृत सरोवर है, उसके बारें में बताया जाता है कि यदि कोई व्यक्ति इसके अन्दर स्नान करता है तो उसके आधे रोग तो खुद से खत्म हो जाते हैं. अमृत सरोवर का जल व्यक्ति को नया जीवन देने वाला बताया जाता है.
8. स्वर्ण मंदिर जिस जमीन पर है. वहां पर सिखों के पहले गुरु नानक देव जी ने ध्यान किया था. पहले गुरु का यह ध्यान स्थान बाद में काफी मशहूर हो गया था.
9. पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब को अकाल तख्त साहिब से फूलों और गुलाब जल के साथ सोने की पालकी में मंदिर मुख्य दरबार में लाया जाता है.
10. बताया जाता है कि स्वर्ण मंदिर के निर्माण में चारों धर्म के लोगों ने काम किया था. यह कार्य एक सेवा के रूप में किया गया था.
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