सरकार और किसान के बीच 9वें दौर की बैठक भी बेनतीजा रही। सरकार आगामी 15 जनवरी को किसानों की मांगों को लेकर संगठनों के साथ एक बार फिर बैठक करेगी। किसानों ने तल्ख लहजे में सरकार से कहा कि आप हल निकालना नहीं चाहते हैं। अगर ऐसा है तो हमें लिखकर बता दीजिए, हम चले जाएंगे। इस बैठक में किसान तख्ती लगाकर बैठे थे। इस पर लिखा था- मरेंगे या जीतेंगे। मीटिंग के दौरान किसानों ने साफ कर दिया है कि कानून वापस लिए जाने तक आंदोलन खत्म नहीं होगा। वहीं, बैठक के दौरान एक किसान नेता ने कहा ‘हमारी घर वापसी तब ही होगी, जब आप लॉ वापसी करेंगे।’ विज्ञान भवन में आयोजित इस बैठक में 40 किसान संगठनों के अलावा केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल (Piyush Goyal) और सोम प्रकाश (Som Prakash) मौजूद थे।
ऑल इंडिया किसान सभा ने कहा, ‘बैठक का माहौल गर्म था। हमने कह दिया है कि कानून वापसी के अलावा कुछ भी मंजूर नहीं है। हम किसी कोर्ट में नहीं जाएंगे। कानून वापस लो, नहीं तो हमारी लड़ाई चलती रहेगी। 26 जनवरी को हमारी परेड होगी।’
किसान नेता बलबीर राजेवाल ने मंत्रियों से कहा, ‘आप जिद पर अड़े हैं। आप अपने-अपने सेक्रेटरी, जॉइंट सेक्रेटरी को लगा देंगे। नौकरशाह कोई न कोई लॉजिक देते रहेंगे। हमारे पास भी लिस्ट है। फिर भी आपका फैसला है, क्योंकि आप सरकार हैं। लोगों की बात शायद कम लगती है। जिसके पास ताकत है, उसकी बात ज्यादा होती है। इतने दिनों से बार-बार इतनी चर्चा हो रही है। ऐसा लगता है कि इस बात को निपटाने का आपका मन नहीं है। तो वक्त क्यों बर्बाद करना है।’
पिछली 8 में क्या हुआ?
पहला दौरः 14 अक्टूबर
क्या हुआः मीटिंग में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की जगह कृषि सचिव आए। किसान संगठनों ने मीटिंग का बायकॉट कर दिया। वो कृषि मंत्री से ही बात करना चाहते थे।
दूसरा दौरः 13 नवंबर
क्या हुआः कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के साथ मीटिंग की। 7 घंटे तक बातचीत चली, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला।
तीसरा दौरः 1 दिसंबर
क्या हुआः तीन घंटे बात हुई। सरकार ने एक्सपर्ट कमेटी बनाने का सुझाव दिया, लेकिन किसान संगठन तीनों कानून रद्द करने की मांग पर ही अड़े रहे।
चौथा दौरः 3 दिसंबर
क्या हुआः साढ़े 7 घंटे तक बातचीत चली। सरकार ने वादा किया कि MSP से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। किसानों का कहना था सरकार MSP पर गारंटी देने के साथ-साथ तीनों कानून भी रद्द करे।
5वां दौरः 5 दिसंबर
क्या हुआः सरकार MSP पर लिखित गारंटी देने को तैयार हुई, लेकिन किसानों ने साफ कहा कि कानून रद्द करने पर सरकार हां या न में जवाब दे।
6वां दौरः 8 दिसंबर
क्या हुआः भारत बंद के दिन ही गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक की। अगले दिन सरकार ने 22 पेज का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसान संगठनों ने इसे ठुकरा दिया।
7वां दौर: 30 दिसंबर
क्या हुआ: नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के 40 प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। दो मुद्दों पर मतभेद कायम, लेकिन दो पर रजामंदी बनी।
8वां दौर: 4 जनवरी
क्या हुआ: 4 घंटे चली बैठक में किसान कानून वापसी की मांग पर अड़े रहे। मीटिंग खत्म होने के बाद कृषि मंत्री ने कहा कि ताली दोनों हाथों से बजती है।
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