December 20, 2024

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इन बातों का रखे ख्याल जिससे पिता-पुत्र में आ सकती है दरार, समझें और रिश्ते बनाएं मधुर !

इन बातों का रखे ख्याल जिससे पिता-पुत्र में आ सकती है दरार, समझें और रिश्ते बनाएं मधुर !

जब भी कभी पुत्र और माता-पिता के रिश्ते की बात की जाती हैं तो सामने आता हैं कि मां की ओर पुत्र का झुकाव अधिक होता हैं और पिता से रिश्ता थोड़ा सख्त होता हैं। हांलाकि पुत्र को दुनिया दिखाने का काम पिता ही करते हैं। लेकिन समय के साथ देखने को मिलता हैं कि जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, वैसे-वैसे पिता और पुत्र के बीच दूरियां बढ़ना शुरू हो जाती हैं। पिता और पुत्र के बीच का रिश्ता दोस्तों जैसा हो तो यह रिश्ता बहुत मजबूत बन जाता हैं। लेकिन अधिकांश घरों में यह लापता ही होता है। आज इस कड़ी में हम आपको उन कारणों के बारे में बताने जा रहे हैं जो पिता-पुत्र में दूरियां लेकर आती हैं। इन्हें जानकर दूर करने में ही समझदारी हैं। आइये जानते हैं इन कारणों के बारे में…

सुबह जल्दी ना उठना
इस बात से हर कोई काफी अच्छी तरीके से वाकिफ होगा कि पिता सुबह जल्दी उठने को कहते हैं। वहीं अगर वे गुस्से में होते हैं तो इस बारे में उन्हें कभी भी डांट सुनने को मिल जाती होगी। बेटों को यह बात समझनी होगी कि पिता को आपकी नींद से समस्या नहीं है, बल्कि वे चाहते हैं कि आप सुबह जल्दी उठें, एक्सरसाइज करें, पढ़ाई करें। क्योंकि सुबह एक्सरसाइज करने से शरीर स्वस्थ रहेगा और पढ़ाई करने से बुक्स अच्छी तरह से याद हो जाती है। इसलिए कभी भी पिता की इस बात का बुरा ना मानें कि वो सुबह देर तक सोने ही नहीं देते।

रोक-टोक
ज्यादातर घरों में पुत्र के तरुण अवस्था में पहुंचते ही पिता उसकी हर बात पर रोकटोक करते हैं, जिससे पुत्र को यह नागंवार लगता है। जब की इस रोक-टोक के पीछे पिता का अनुभव और पिता की चिंता छिपी होती है, जिसे आज़ाद खयाल बच्चे रोक-टोक समझते हैं, और पिता पुत्र के बीच इस विषय पर अक्सर तनाव बना रहता है। यह बात पिता को भी समझनी चाहिए कि अब उनका बेटा बड़ा हो गया है वह अपना भला-बुरा बेहतर समझ सकता है। लिहाजा इस रोक-टोक से अंदर ही अंदर दूरियां बढ़ने लगती हैं।

तुलना करना
ऐसे कई उदाहरण बचपन में हर बेटे को सुनने मिलते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि पिता आपकी तुलना कर रहे हैं या फिर आपको कमजोर दिखाना चाहते हैं। ऐसा बोलने के पीछे उनका मकसद होता है कि जब सामने वाला मेहनत करके सफल हो सकता है तो आप क्यों नहीं। उनका उद्देश्य आपको आगे बढ़ाना होता है ना कि नीचा दिखाना। इसलिए कभी भी अगर आपके पिता किसी का उदाहरण देते हैं तो उसे नेगेटिव तरीके से ना लें.

स्वभाव में अंतर
माता-पिता के स्वभाव में काफी अंतर होता है। मां बच्चे को डांटती है तो पुचकार भी लेती हैं। लेकिन पिता का स्वभाव इससे अलग होता है। हमारे समाज में पिता को नारियल की तरह माना गया है। जो बाहर से कठोर और अंदर से मुलायम होता है। पिता चाह कर भी मां की तरह अपने प्रेम को व्यक्त नहीं कर पाता है। जिससे पुत्र यह समझ बैठता है कि पिता उससे मतलब ही नहीं रखते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि बेटा पिता से अपनी बातें साझा करना छोड़ देता है और दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगती हैं।

कठोर रवैया
ऐसा मत करो, यह मत करो, यहां मत जाओ, शाम को आठ बजे के बाद घर के बाहर नहीं जाना आदि बातों से कई बच्चों को बुरा लगता है। वे सोचते हैं कि मेरे पिता काफी कठोर हैं और वे कुछ नहीं करने देते। लेकिन ध्यान रखें ऐसा कठोर रवैया रखकर वे आपको आगे के लिए सफल बनाना चाहते हैं और आपको गलत-सही की पहचान कराते हैं। इसलिए कभी भी उनकी बातों का बिल्कुल भी बुरा ना मानें। अगर कुछ चीज आपको सही नहीं लग रही है तो उन्हें बैठकर समझाएं।

वैचारिक मतभेद
पिता-पुत्र के बीच अधिकतर विचारों में काफी अंतर रहता है। यह आज के समय में और भी सामान्य बात हो गई है। जानकार मानते हैं कि पिता और पुत्र दोनों ही पुरुष हैं अतह दोनों के ईगो टराते हैं जिससे उनके बीच का तनाव किसी एक बिंदु पर खत्म नहीं होता है बल्कि दोनों के बीच तनाव बढ़ता जाता है, और यह गांठ आगे चलकर दोनों के लिए कष्ट का कारण बन सकता है।

मोबाइल चलाने की लत
हर पिता अपने बेटे को स्वस्थ देखना चाहता है इसलिए अगर बच्चों को डांटना भी पढ़े तो भी वह पीछे नहीं हटता। आज के समय में लोगों को देर तक मोबाइल चलाने की आदत पढ़ी हुई है वे लोग देर रात तक लेटकर मोबाइल चलाते रहते हैं। इससे आपकी आंखों, दिमाग और शरीर को काफी नुकसान होता है। अगर आप भी ऐसा करेंगे तो पिता डांटेंगे भी और गुस्सा भी होंगे। अब अगर आप इस बात से नाराज होकर पिता से गुस्सा रहेंगे तो यह पूरी तरह से गलत है। पिता आपकी भलाई के लिए ही आपको डांट रहे हैं इसलिए कभी भी पिता की डांट को गलत तरीके से ना लें।

जनरेशन गैप
पिता और पुत्र की उम्र में एक पूरी जनरेशन का अंतर होता है। ऐसे में जो दुनिया पिता ने अपनी युवावस्था में देखी होती है, वह दुनिया पुत्र नहीं देख रहा होता है जबकि जो दुनिया पुत्र देख रहा है वो पिता के समय से बहुत भिन्न है तो ऐसे में दोनों के बीच एक दूरी आ जाती है जिसे मिटाने के लिए बहुत जरूरी है कि वह एक दूसरे के समय को जानें और समझने का प्रयास करें नहीं तो उन दोनों के मन में एक ही बात चलती रहेगी कि वे एकदूसरे को नहीं समझते हैं।