बचपन से ही कई बार लोगों को एक हाथ में मैग्नीफाइंग ग्लास लेकर सामने बैठे इंसान के हाथ में ध्यानपूर्वक डूबते हुए देखा है. तब मन में अकसर यह सवाल आता था कि आखिरकार हमारे हाथों में ऐसा क्या होता है जो इसे इतने ध्यान से देखा जाता है. तब किसी दोस्त ने बताया कि हाथों पर बनी हुई रेखाओं को पढ़कर कुछ लोग हमारा भविष्य बताते हैं.
Hast Rekha Se Jane Bhagya in Hindi :-
क्या ऐसा भी हो सकता है? लकीरें (रेखाएं) तो सभी के हाथों में होती हैं, फिर कैसे उन्हें गहराई से देखने पर किसी के आने वाले कल की कल्पना की जा सकती है? पहले यह बात महज़ एक धोखा लगती थी, लेकिन बाद में मालूम हुआ कि हस्तरेखा शास्त्र या पामिस्ट्री नामक एक ज्ञान मौजूद है.
इस शास्त्र के अंतर्गत हाथों की लकीरों को पढ़ने वाला इंसान, जिसे हस्तरेखा शास्त्री भी कहा जाता है, वह इन रेखाओं में से अच्छी और बुरी बातें खोज कर निकालता है. हस्तरेखा शास्त्र कोई भविष्यवाणी नहीं करता, बल्कि यह तो विभिन्न वैज्ञानिक पहलुओं पर आधारित है.
आगे चलकर जैसे-जैसे मेरा इस विषय में ज्ञान बढ़ा, तो पता लगा कि हमारे हाथों में कुछ खास रेखाएं होती हैं. दिल की रेखा, जीवन रेखा और भाग्य रेखा के बारे में जानकारी प्राप्त हुई. इन रेखाओं को पढ़कर आपका जीवन कितना सुखमय या अशांत होगा, या फिर आपका आने वाला कल आपके लिए ज़िंदगी का कौन सा रंग लेकर आने वाला है, इसकी जानकारी मिलती है.
लेकिन आज जिस जानकारी को मैं आपके साथ बांटने जा रही हूं, यह उपरोक्त बताई गई तीन अहम रेखाओं से भी ज्यादा रोचक है. यह है हमारे हाथों की हथेलियों पर मौजूद चक्र एवं द्वीप का महत्व. लेकिन कैसा होता है यह चक्र और द्वीप और इसके होने या ना होने से मानवीय जीवन पर क्या असर होता है.
इसे समझने के लिए अपने हाथों को ध्यान से देखें. यदि आपको अपनी हथेली के किसी स्थान पर मांसल गद्दियां सी उभरी नज़र आ रही हैं, तो यह आपके हाथ पर बना हुआ पर्वत है. यह आपके हाथ पर बनी रेखाओं से अलग ही नज़र आते हैं.
आप इसे अंगुली से छू कर महसूस भी कर सकते हैं. कई बार आसानी से यह भांप पाना मुश्किल हो जाता है कि यह उभरा हुआ भाग पर्वत ही है या कुछ और. इसके लिए किसी अच्छे हस्तरेखा शास्त्री से सलाह लेना आवश्यक है. यदि हाथ पर पर्वत मौजूद है, तो इसका क्या अर्थ है?
सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार हाथ पर पर्वत की मौजूदगी का अर्थ समझाया गया है. दरअसल इन पर्वतों को आकाशीय ग्रहों से जोड़ा गया है. खलोग विज्ञान के अनुसार आकाश में सात प्रमुख ग्रह मौजूद हैं. ये हैं – सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु (बृहस्पति), शुक्र और शनि. पौराणिक मान्यता के अनुसार इन सात ग्रहों के अलावा दो और भी ग्रह मौजूद हैं – राहु और केतु.
हाथ की हथेली पर जिस स्थान पर पर्वत मौजूद है, उस स्थान को उपरोक्त बताए गए ग्रहों से जोड़कर, उस इंसान के जीवन से सम्बन्धित रोचक बातें बताई जाती हैं. प्रत्येक पर्वत उसके जीवन पर क्या प्रभाव डालेगा और क्या खुशखबरी लाएगा, इसका अंदाज़ा लगाया जाता है.
लेकिन ध्यान रहे, हस्तरेखा शास्त्र कोई भविष्यवाणी नहीं है. यह केवल आपके हाथ की लकीरों को समझकर आपकी आने वाली परिस्थिति किस प्रकार की हो सकती है, इसकी जानकारी देता है. इसके अनुसार हाथ पर मौजूद पर्वत आपको क्या फल देगा.
यदि आपके हाथ में सूर्य पर्वत मौजूद है तो यह आपको विद्या, राज्य, मानसिक उन्नति, प्रसिद्धि, सम्मान, यश तथा विविध कला-कौशल के अध्ययन में सहायता देगा. इसके अलावा चंद्र पर्वत मानव की कल्पना-शक्ति, विशालता, सहृदयता, मानसिक उत्थान तथा समुद्र-पारीय यात्राओं के अध्ययन में सहायक होता है.
तीसरा है मंगल पर्वत जिसके मौजूद होने पर हस्तरेखा शास्त्री आपको युद्ध, साहस, शक्ति परिश्रम तथा पुरुषोचित गुण आदि विषयों पर जानकारी दे सकते हैं. अगला पर्वत बुध पर्वत है जिसके होने से वैज्ञानिक उन्नति, व्यापार और गणित संबंधी कार्य में अत्यधिक सहायता होती है.
पांचवां पर्वत है गुरु पर्वत. यह पर्वत राज्यसेवा तथा इच्छाओं के प्रदर्शन आदि से सम्बन्धित होता है. इसके बाद शुक्र पर्वत सुंदरता, प्रेम, शान-शौकत, कलाप्रेम तथा ऐश्वर्य-भोग आदि से संबंधित है. और आखिरी पर्वत, शनि पर्वत मननशीलता, चिंतन, एकांत-प्रेम, रोग, मशीनरी तथा व्यापार आदि से सम्बन्धित है.
सामुद्रिक शास्त्र के अलावा पौराणिक महत्व के अनुसार भी कुछ पर्वत शामिल किए गए हैं. जैसे कि पहला है राहु पर्वत, जिसके होने से आकस्मिक धन प्राप्ति, लॉटरी, हार्ट अटैक या अचानक घटित होने वाली घटनाओं का पता लगता है. इसके अलावा केतु पर्वत धन, भौतिक उन्नति एवं बैंक-बैलेंस आदि का सूचक है.
तीसरा पर्वत है हर्षल पर्वत, जिसके जरिए शारीरिक एवं मानसिक क्षमता की जानकारी मिलती है. इसके बाद नेपच्यून पर्वत द्वारा विद्वता, व्यक्तित्व, प्रभाव तथा पुरुषार्थ सम्बन्धित बातों का पता चलता है. आखिरी पर्वत है प्लूटो पर्वत, जिसके द्वारा मानसिक चिंता तथा आध्यात्मिक उन्नति का ज्ञान होता है.
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