December 20, 2024

Visitor Place of India

Tourist Places Of India, Religious Places, Astrology, Historical Places, Indian Festivals And Culture News In Hindi

रमजान 2020 : इस्लाम में क्या है रमजान का महत्व, जानें इसका इतिहास !

रमजान 2020 : इस्लाम में क्या है रमजान का महत्व, जानें इसका इतिहास !

रमजान का महीना इस्लाम में बेहद पाक माना जाता हैं। हिजरी कैलेंडर का नौवां महीना रमजान का होता है। इसकी शुरुआत चांद पर निर्भर करती हैं। इस साल अगर चांद का दीदार 23 अप्रैल को हो गया तो 24 अप्रैल से रोजे रखे जाएंगे। वहीं अगर चांद 24 अप्रैल को दिखा तो 25 अप्रैल से रोजे रखे जाएंगे। इस पूरे महीने रोजे रखे जाते हैं और माना जाता हैं कि इस महीने रोजा रखने वाले रोजेदारों को कई गुना सवाब मिलता है और उन्हें जन्नत नसीब होती है। आज हम आपको रमजान के महत्व और इतिहास से जुड़ी जानकारी देने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

रमजान का इतिहास

रमजान का इतिहास क्या है? यह कब से शुरु हुआ? हम इन सवालों के जवाब जानेंगे। इस्लामिक मान्यता के अनुसार, 610 ईसवी में पैगंबर मोहम्मद साहब पर लेयलत-उल-कद्र के मौके पर पवित्र कुरान शरीफ नाजिल हुई थी। तब से रमजान माह को इस्लाम में पाक माह के रूप में मनाया जाने लगा। रमजान का जिक्र कुरान में भी मिलता है। कुरान में जिक्र है कि रमजान माह में अल्लाह ने पैगंबर मोहम्मद साहब को अपने दूत के रूप में चुना है। इसलिए रमजान का महीना मुसलमानों के लिए पाक है।

इस्लाम में रमजान का महत्व

इस्लामिक मान्यता के अनुसार, यह कहा जाता है कि रमजान के महीने में रोजा रखने का अर्थ केवल रोजेदार को उपवास रखकर, भूखे-प्यासे रहना नहीं है। बल्कि इसका सच्चा अर्थ है अपने ईमान को बनाए रखना। मन में आ रहे बुरे विचारों का त्याग करना। रोजे का अर्थ है अपने गुनाहों से तौबा करना।

इसलिए रमजान में किसी रोजेदार को अपने ईमान को सर्वोपरि बनाए रखना होता है। इस दौरान रोजेदार को किसी के बारे में बुरा भला नहीं कहना चाहिए। इस दौरान झूठ नहीं बोलना चाहिए और न ही किसी को झूठा वादा करना चाहिए।

रमजान को लेकर एक और मान्यता है कि इस पाक महीने में जन्नत के दरवाजे रोजेदारों के लिए खुल जाते हैं, जो लोग रोजा रखते हैं। अल्लाह उन्हें जन्नत भेजता है। रमजान का पहला अशरा रहमत का होता है। दूसरा अशरा मगफिरत का और तीसरा अशरा दोजख से आजादी दिलाने का होता है।