हिन्दू धर्म में हर दिन किसी ना किसी प्रकार का व्रत या त्यौहार होता हैं। आज से सितंबर महीने की शुरुआत होने जा रही हैं जो अपने साथ त्यौहारों की बहार लेकर आया हैं। इस बार सितंबर महीने में कई बड़े त्यौहार पड़ रहे हैं और अंत में 21 सितंबर से पितरों का स्मरण करने का पर्व पितृ पक्ष का आरंभ हो जाएगा। आज इस कड़ी में हम आपके लिए सितंबर महीने में पड़ने वाले त्यौहारों की जानकारी लेकर आए हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
अजा एकादशी और वत्स द्वादशी
3 सितंबर दिन शुक्रवार को कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अजा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस बार अजा एकादशी के दिन पुष्य नक्षत्र भी रहेगा इसलिए इस दिन व्रत रखना बहुत ही शुभ फलदाई माना जा रहा है। अजा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा आराधना करने और व्रत रखने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पंचांग के अनुसार इसी दिन वत्स द्वादशी भी मनाई जाएगी।
प्रदोष व्रत
प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। सितंबर के माह में 4 तारीख को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। प्रदोष व्रत के दिन व्रत रखने से कुंडली में मौजूद चंद्र दोष से भी मुक्ति मिलती है। इस बार प्रदोष व्रत शनिवार के दिन है इसलिए इस दिन यदि आप भगवान शिव की श्रद्धापूर्वक पूजा आराधना करते हैं तो आपको शनिदेव की कृपा भी प्राप्त होती है क्योंकि शनि देव को शिव भगवान का भक्त माना जाता है।
पिठोरी अमावस्या
भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पिठोरी अमावस्या कहा जाता है। पिठोरी अमावस्या इस बार 6 सितंबर दिन सोमवार को है इस दिन व्रत रखने से पितरों का आशीर्वाद व्यक्ति को प्राप्त होता है और जीवन में आने वाली कठिनाइयां दूर होने लगती हैं। इस अमावस्या को कुशाग्रहणी अमावस्या भी कहा जाता है।
हरितालिका तीज
भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरितालिका तीज के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत करती हैं और 16 श्रृंगार करके भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। यह व्रत प्रमुख रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में मनाया जाता है। वहीं मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी यह व्रत रखा जाता है। इसके भाद्र शुक्ल तृतीया को वराह जयंती मनाई जाती है। वराह जयंती भगवान विष्णु के तीसरे अवतार के जन्म के उत्सव के रूप में मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के वराह अवतार की पूजा आराधना करने से व्यक्ति की कई मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके साथ ही जैन धर्म में मान्यता रखने वाले लोग इस दिन रोटी तीज का व्रत रखते हैं।
गणेश उत्सव का आरंभ
भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से गणेश उत्सव की शुरुआत होती है और यह 10 दिवसीय गणेशोत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार। भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को ही गणेशजी का जन्म हुआ था और इस तिथि को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। इस बार 10 सितंबर से 10 दिवसीय गणेश उत्सव की शुरुआत होगी और 19 सितंबर 2021 को रविवार को अनंत चतुर्दशी के दिन प्रतिमा विसर्जन के बाद समाप्ति होगी।
ऋषि पंचमी व्रत
ऋषि पंचमी का अवसर मुख्य रूप से सप्तर्षि के रूप में प्रसिद्ध सात महान ऋषियों को समर्पित है। साधारणतया यह पर्व गणेश चतुर्थी के एक दिन बाद और हरतालिका तीज के दो दिन बाद पड़ता है। इस साल यह पर्व 11 सितंबर को है। ऋषि पंचमी के दिन पूरे विधि-विधान के साथ ऋषियों के पूजन के बाद कथापाठ और व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि यह व्रत लोगों के समस्त पापों को समाप्त करता है और शुभ फलदायी होता है। यह व्रत ऋषियों के प्रति श्रद्धा। कृतज्ञता। समर्पण और सम्मान की भावना को दर्शाता है।
संतान सप्तमी व्रत
संतान के लिए किया जाने वाला यह व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि वाले दिन किया जाता है। इस व्रत को केवल दोपहर तक ही किया जाता है। इस साल यह व्रत 13 सितंबर को है। इस दिन शिव पार्वती की पूजा कर उनसे संतान की रक्षा की कामना की जाती है। व्रत के बाद खीर पूड़ी और गुड़ के पुए खाए जाते हैं। इसी दिन देश के कुछ स्थानों पर जैसे महाराष्ट्र और दक्षिण राज्यों में महालक्ष्मी का व्रत भी रखा जाता है।
राधाष्टमी
भाद्रपद के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्णप्रिया राधा का जन्मदिन राधाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व को कृष्ण जन्माष्टमी के ठीक 15 दिन बाद मनाया जाता है। यह पर्व इस बार 14 सितंबर को है। माना जाता है कि इसी दिन वृंदावन के पास स्थित बरसाना में वृषभानु और कीर्ति के यहां राधा का जन्म हुआ था। पुराणों में राधा की महिमा का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि वे कृष्ण की आत्मा हैं। इसीलिये कृष्ण को राधारमण भी कहा जाता है। इस दिन कृष्णभक्त बरसाना की पहाड़ी पर स्थित गहवर वन की परिक्रमा करते हैं और राधा के मंदिर में उनकी पूजा और अर्चना कर उत्सव आयोजित करते हैं। ऐसा विश्वास किया जाता है कि इस दिन व्रत रखने वाले को राधा की तरह प्रेम की प्राप्ति होती है। इस दिन बरसाना में हजारों श्रद्धालु एकत्रित होते हैं और राधा के मंदिर में विशेष उत्सव का आयोजन किया जाता है।
विश्वकर्मा पूजा
भाद्रपद की एकादशी को शिल्पकार और वास्तुकार विश्वकर्मा भगवान की विधि विधान से पूजा आराधना करते हैं। इस बार विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर शुक्रवार को रहेगी। मान्यता है कि इसी दिन दुनिया के सबसे पहले आर्किटेक्ट माने जाने वाले भगवान विश्वकर्मा का प्राकट्य हुआ था।
अनंत चतुर्दशी
अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान अनंत देव की पूजा आराधना की जाती है साथ ही इस दिन गणेश उत्सव का समापन भी होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह दिन भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है। इस बार अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अनंत चतुर्दशी 19 सितंबर को मनाई जाएगी। इस दिन लोग अपने हाथ में अनंत भी बांधते हैं। पुरुष दाएं हाथ में और महिलाएं बाएं हाथ में अनंत बांधती हैं। इस दिन नमक के बिना भोजन करने की परंपरा है।
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। VisitorPlaces Team हिंदी इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले विशेषज्ञ से संपर्क जरुर करें।)
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