इस दुनिया में कई देश हैं और सभी अपनी अलग विशेषताओं के लिए जाने जाते हैं। दुनिया का सबसे छोटा देश यूरोप महाद्वीप में स्थित वेटिकन सिटी हैं। लेकिन आज इस कड़ी में हम बात करने जा रहे हैं एशिया के सबसे छोटे देश मालदीव के बारे में। हिंद महासागर में स्थित यह देश बेहद ही खूबसूरत है और अपनी अनोखी और रोचक बातों के लिए मशहूर हैं। यह श्रीलंका से करीब 983 किलोमीटर जबकि भारत के लक्षद्वीप से कीब 793 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
साल 1965 में इसे अंग्रेजों से आजादी मिली थी। सबसे पहले भारत ने ही इस देश को मान्यता दी थी। 11 नवंबर, 1968 को यहां 853 साल पुरानी राजशाही को समाप्त कर मालदीव को एक गणतंत्र देश घोषित किया गया था। यह जनसंख्या और क्षेत्रफल, दोनों ही प्रकार से एशिया का सबसे छोटा देश है। 2016 की जनगणना के मुताबिक, यहां की कुल आबादी लगभग चार लाख 28 हजार है। असल में मालदीव एक द्वीप समूह है। यहां कुल 1,192 टापू हैं, जिसमें से सिर्फ 200 टापूओं पर ही स्थानीय बस्ती है, जबकि कुछ टापू सैलानियों के लिए हैं, जहां खूबसूरत रिजॉर्ट और होटल बनाए गए हैं। एक अनुमान के मुताबिक, हर साल करीब छह लाख सैलानी घूमने के लिहाज से मालदीव आते हैं।
मालदीव एक मुस्लिम देश है। हालांकि हमेशा से ऐसा नहीं था। 12वीं सदी तक यह देश हिंदू राजाओं के अधीन रहा था, लेकिन बाद में यह बौद्ध धर्म का केंद्र बन गया और धीरे-धीरे समय के साथ यह पूरी तरह से मुस्लिम राष्ट्र में तब्दील हो गया। यहां की सबसे खास बात ये है कि कोई भी गैर मुस्लिम व्यक्ति मालदीव का नागरिक नहीं बन सकता। मालदीव पृथ्वी पर मौजूद सभी द्वीपीय देशों में से सबसे नीचे स्थित है। यह समुद्र तल से महज 1.5 मीटर की ऊंचाई पर है। अगर कभी सुनामी आई तो इस देश के डूबने की संभावना सबसे ज्यादा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया की पहली अंडरवॉटर कैबिनेट मीटिंग मालदीव में ही आयोजित की गई थी। साल 2009 में तत्कालीन राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने इस बैठक की अध्यक्षता की थी।
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