July 5, 2024

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ताजमहल को सिर्फ सात लाख रुपए में बेच दिया था अंग्रेजों ने !

ताजमहल को सिर्फ सात लाख रुपए में बेच दिया था अंग्रेजों ने !

19 नवंबर से 25 नवंबर तक विश्व हेरिटेज वीक मनाया जाता है। यदि भारत में धरोहरों की बात की जाए तो सात अजूबों में से एक आगरा के ताजमहल का नाम सबसे पहले आएगा। दुनियाभर में मोहब्बत की निशानी के रूप में मशहूर ताजमहल के बारे में कई ऐसे दिलचस्प किस्से हैं, जिनके बारे में शायद ही लोगों को पता होगा।

अंग्रेजों ने ताजमहल को बेचने की कोशिश भी की थी। इसके लिए ब एक अंग्रेजी दैनिक अखबार में 26 जुलाई, 1831 के अंक में ताज महल को बेचने की एक विज्ञप्ति प्रकाशित की गई थी। एक सेठ लक्ष्‍मीचंद ने इसे सात लाख रुपए में खरीद भी लिया था। नीलामी में ये भी शर्त थी कि इसे तोड़कर इसके खूबसूरत पत्थरों को अंग्रेजों को सौंपना होगा, लेकिन इस नीलामी की खबर लंदन तक जा पहुंची और वहां असेबंली में सवाल उठने पर गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बैंटिक को ताज महल की नीलामी रद्द करनी पड़ी।

यमुना नदी के किनारे खड़ा ताजमहल जयपुर के महाराजा जयसिंह की संपत्ति पर बना है। इस जमीन के बदले शाहजहां ने जयसिंह को आगरा शहर के बीच में एक महल दिया था। ताजमहल का निर्माण 1632 में शुरु हुआ था और इसे बनाने में पूरे 22 साल लगे थे। यमुना नदी से ताजमहल को बचाने के लिए सतह से करीब पचास मीटर उंचे तक कंकड़ पत्थर भरकर पचास मीटर उंचा चबूतरे बनाया गया था।

कहा जाता है कि मुमताज की मौत बुहारनपुर में चौदहवें बच्‍चे के प्रसव के दौरान हुई थी। इस दौरान ताजमहल का निर्माण पूरा नहीं हो सका था। इसलिए शाहजहां ने ताजमहल बनने तक मुमताज के शव को संरक्षित रखने का फैसला लिया था। अबुस्सलाम ने अपनी किताब में लिखा है कि मुमताज के शव को ममी की तरह लेप लगाकर कपड़े की पट्टियों से लपेट दिया गया था। हालांकि, इतिहासकार यह नहीं मानते हैं कि मुमताज की लाश को ममी के रूप में दफनाया गया था।