मैगी एक ऐसा नाम हैं जिसे बच्चा-बच्चा तो जानता ही हैं बल्कि बड़ों के मन को भी यह बहुत पसंद आती हैं। मैगी की दीवानगी ऐसी हैं की जिसे कुछ भी नहीं बनाना आता हैं उसे मैगी बनाना तो आता ही हैं। झटपट तैयार होने वाली मैगी के स्वाद के सभी दीवाने हैं। लेकिन इससे जुड़ा एक सवाल हमेशा जहन में आता हैं कि आखिर इसका नाम मैगी कैसे पड़ा। आज हम आपको इसके 123 साल पुराने इतिहास से जुड़ी जानकारी के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
वैसे तो भारत में मैगी की कहानी साल 1983 में शुरू हुई थी। नेस्ले इंडिया लिमिटेड ने भारत में मैगी नूडल्स को लॉन्च किया था, लेकिन उससे पहले विदेशों में तो यह खूब प्रचलन में था। साल 1897 में सबसे पहले जर्मनी में मैगी नूडल्स पेश किया गया था।
मैगी नूडल्स बनाने वाले का नाम जूलियस माइकल जोहानस मैगी था। वो स्विट्जरलैंड के रहने वाले थे। उन्हीं के नाम पर मैगी का नाम ‘मैगी’ पड़ा था। इसे बनाने के पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। दरअसल, साल 1884 में जूलियस ने आटे से बने प्रोडक्ट को बेचना शुरू किया था, लेकिन उनका ये बिजनेस कुछ खास चला नहीं था, जिसके बाद 1886 में उन्होंने सोचा कि वो ऐसे खाद्य पदार्थ बनाएंगे, जो जल्दी से पक जाए। बस यही से मैगी की शुरुआत हुई थी।
धीरे-धीरे जूलियस की मैगी ने बाजार में अपनी पहचान बना ली। उस समय स्विट्जरलैंड की सरकार ने भी इस काम में उनकी मदद की थी। जूलियस ने मैगी के अलावा भी कई तरह के फ्लेवर वाले सूप बाजार में उतारे थे और वो सारे काफी लोकप्रिय हुए थे।
साल 1912 तक जूलियस मैगी के बनाए उत्पादों ने अमेरिका और फ्रांस जैसे कई देशों में अपनी पहचान बना ली थी। हालांकि उनकी मौत के बाद मैगी की साख पर थोड़ा फर्क जरूर पड़ा, लेकिन फिर भी कई सालों तक ऐसे ही ये चलता रहा। बाद में साल 1947 में नेस्ले ने ‘मैगी’ को खरीद लिया, जिसके बाद से यह भारत में भी मशहूर हो गया और घर-घर की पहचान बन गया।
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