भारत में यूं तो कई ऐसे मंदिर हैं जिनको लेकर कई तरह की कहानियां और मान्यताएं प्रचलित हैं. लेकिन आज हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र के एक ऐसे मंदिर के बारे में जिससे एक अजीबो-गरीब रहस्य जुड़ा हुआ है
दरअसल ये महालक्ष्मी मंदिर महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित है. इस महालक्ष्मी मंदिर को लेकर कहा जाता है कि इस मंदिर में स्थित खंभों से एक ऐसा रहस्य जुड़ा है जिसे सुलझाने में विज्ञान भी नाकाम साबित हुआ है.
आइए जानते हैं कि आखिर महालक्ष्मी मंदिर के खंभों से कौन सा रहस्य जुड़ा हुआ है जो आज भी पहेली बना हुआ है.
महालक्ष्मी मंदिर के खंभों से जुड़ा रहस्य
महालक्ष्मी मंदिर के चारों दिशाओं में एक-एक दरवाजा मौजूद है और इस मंदिर में मौजूद खंभों को लेकर मंदिर प्रशासन का दावा है कि यहां कितने खंभे है यह आज भी रहस्य ही है.
इस मंदिर के नक्काशियों वाले खंभे काफी मशहूर हैं लेकिन इन्हें आज तक कोई भी नहीं गिन पाया है. मंदिर प्रशासन की मानें तो कई बार लोगों ने इन्हें गिनने की कोशिश की लेकिन जिसने भी ऐसा किया उसके साथ कोई न कोई अनहोनी घटना देखने को मिली है.
1800 साल पुराना है यह महालक्ष्मी मंदिर
बताया जाता है कि महालक्ष्मी का यह मंदिर 1800 साल पुराना है और इस मंदिर में आदि गुरु शंकराचार्य ने देवी महालक्ष्मी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की थी.
लोगों की मान्यता के मुताबिक शालि वाहन घराने के राजा कर्णदेव ने इसका निर्माण करवाया था और आगे चलकर इसमें 35 छोटे-छोटे मंदिरों को भी बनवाया था. करीब 27 हज़ार वर्गफुट में फैला यह मंदिर माता के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है.
महालक्ष्मी मंदिर से जुड़ी ऐतिहासिक मान्यता
इस मंदिर को लेकर ऐतिहासिक मान्यता यह है कि यहां देवी सती के तीनों नेत्र गिरे थे. इस मंदिर में साल के एक खास समय में सूर्य की किरणें मुख्य मंदिर में मौजूद देवी की मूर्ति पर सीधे पड़ती है.
इस मंदिर में माता लक्ष्मी की चारभुजाओं वाली तीन फुट ऊंची मूर्ति स्थापित है. ऐसा माना जाता है कि तिरुपति यानी भगवान विष्णु से रुठकर माता लक्ष्मी कोल्हापुर में आईं थी.
मंदिर में छुपा है अरबों का खज़ाना
कहा जाता है कि माता के इस मंदिर के भीतर अरबों का खज़ाना छुपा हुआ है. करीब 3 साल पहले जब इस खज़ाने को खोला गया तो उसमें हजारों साल पुराने सोने, चांदी और हीरों के ऐसे आभूषण मिलें, बाज़ार में जिनकी कीमत अरबों रुपए में आंकी गई हैं.
इतिहासकारों की माने तो कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर में कोंकण के राजाओं, चालुक्य राजाओं, आदिल शाह, शिवाजी और उनकी मां जीजाबाई ने भी चढ़ावा चढ़ाया था. अरबों के इस खज़ाने की सुरक्षा के लिहाज से इसका बीमा भी कराया गया है.
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