July 9, 2024

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जानिए वे 10 बाते जो सिद्ध करती है की रावण था इस धरती पर सबसे बड़ा ज्ञानी !

रामायण के कथा हम अपने बचपन से सुनते और पढ़ते चले आ रहे है. रामायण की कथा में असत्य पर सत्य की जीत को दर्शाया गया है जिसमे सत्य का प्रतीक प्रभु श्री राम थे तथा असत्य का परचम फहराए हुए एक ओर रावण था. हमने इस कथा में अधिकतर यह सूना है की रावण अधर्मी और बहुत बड़ा पापी था परन्तु क्या आप रावण के बारे में यह जानते है की वह एक ऐसा शख्स था जिसके ज्ञान के आगे देवता भी नतमस्तक हो जाते थे.

अपने अधर्मी छवि होने के बावजूद रावण ने अनेको ऐसे उदाहरण प्रस्तुत किये जिससे सच में पता चलता है की रावण कितना बड़ा ज्ञानी था.

रावण एवं उसकी अद्भुत सीख :-

युद्ध में जब रावण राम से हारने के बाद अपनी अंतिम सासे ले रहा था तब राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को रावण से ज्ञान लेने के लिए भेजा था. रावण ने लक्ष्मण से कहा था यदि आपको अपने गुरु से ज्ञान लेना हो तो सदैव अपने गुरु के चरणों की ओर बैठना चाहिए. रावण द्वारा लक्ष्मण का दिया यह अनमोल ज्ञान तब से अब प्रचलन में चला आ रहा है.

आयुर्वेद का ज्ञानी रावण :-

रावण का आयुर्वेद में भी महत्वपूर्ण योगदान है. प्रसिद्ध किताब अर्क प्रकाश जो की आयुर्वेद पर आधारित है, रावण द्वारा लिखी गई थी. इस पुस्तक में आयुर्वेद से संबंधित कई महत्वपूर्ण जानकारिया दी गई है. अपनी विद्या द्वारा रावण ऐसे चावल बना सकता था जिसके द्वारा प्रचुर मात्रा में विटामिन मिल जाता था. माता सीता को रावण यही चावल दिया करता था.

साहित्य के ज्ञान में पारंगत रावण :-

रावण सिर्फ युद्ध कौशल में ही निपुण नहीं था बल्कि साहित्य में भी रावण काफी अच्छी समझ रखता था. उसने अनेक कविताएं एवं श्लोको की रचना करी थी.जिनमे शिव तांडव भी रावण की उन रचनाओं में से एक थी. रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए में कब खुस होऊंगा लिखी. भगवान शिव रावण की इस रचना से बहुत प्रसन्न हुए थे जिसके फलस्वरूप उन्होंने रावण को वरदान भी दिया था .

रावण की संगीत में रूचि :-

रावण की संगीत में भी अत्यन्त रूचि थी. रावण रूद्र वीणा में हारना लगभग असम्भव था. रावण जब भी परेशान होता था तो वह अपने आपको रूद्र वीणा बजाकर ही शांत किया करता था. इसी के साथ ही रावण स्वयं का अपना वायलन भी बनाया जिसे आज भी राजस्थान में बजाया जाता है तथा जो वहां रावणहत्थे के नाम से प्रसिद्ध है.

सीता थी रावण की पुत्री :-

रामायण कई देशो में गर्न्थो के रूप में अपनाई गई है. थाईलैंड में जो रामायण है उसके अनुसार सीता रावण की पुत्री थी जिसे एक भविष्यवाणी सुनने के बाद रावण ने एक खेत में दफना दिया था तथा बाद में देवी सीता जनक को उस खेत से प्राप्त हुई. रावण को भविष्यवाणी यह हुई थी की यही लड़की तेरे मृत्यु का कारण बनेगी.

रावण ने देवी सीता का जब अपहरण किया था तो कैद के समय उसने कभी देवी सीता के साथ कोई बुरा व्यवहार नहीं किया जिसका एक कारण देवी सीता का रावण की पुत्री होना था.

ग्रह नक्षत्र थे रावण की मुट्ठी में :-

जब रावण के पुत्र मेघनाथ का जन्म होने वाला था तो उसने ग्रह नक्षत्रों को अपने हिसाब से सजा लिया था. जिससे उसका होने वाला पुत्र अमर हो जाए. परन्तु अंत समय में शनि ने अपनी चाल बदल ली थी. रावण इतना शक्तिशाली था की उसने शनि देव को ही अपना बंदी बना लिया था.

वैद और संस्कृत का ज्ञाता :-

रावण को वेद और संस्कृत का ज्ञान था. वो साम वेद में निपुण था. उसने शिवतांडव, युद्धीशा तंत्र और प्रकुठा कामधेनु जैसी कृतियों की रचना की. साम वेद के अलावा उसे बाकी तीनों वेदों का भी ज्ञान था. इतना ही नहीं पद पथ में भी उसे महारत हासिल थी. पद पथ एक तरीका है वेदों को पढ़ने का.

बाल चिकित्सा और स्त्री रोगविज्ञान का ज्ञान भी था रावण को :-

अपने आयुर्वेद विज्ञान से रावण ने स्त्रीरोग विज्ञानं और बाल विज्ञानं के ऊपर भी किताब लिखा. इन किताबो पर 100 से ज्यादा बीमारियों का इलाज लिखा गया है. यह किताब रावण ने अपनी पत्नी मंदोदरी के कहने पर लिखी थी.

रावण ने करी थी श्री राम की मदद :-

समुद्र में पुल बनाने से पूर्व राम को यज्ञ सम्पन्न करना था . परन्तु यज्ञ में श्री राम के साथ माता सीता का बैठना जरूरी था नहीं तो यज्ञ सम्पन नहीं हो सकता था. इस यज्ञ में रावण ने स्वयं राम की मदद करी तथा खुद इस यज्ञ का पंडित बना और माता सीता को भी लंका से लेकर आया. जब यज्ञ समाप्त हुआ तो राम ने रावण को प्रणाम किया तथा रावण ने उनको विजयी भव का आशीर्वाद दिया था.

रावण के नहीं थे दस सर :-

रामायण से जुडी एक कथा में बताया गया है की रावण के दस सर नहीं थे. इस कथा के अनुसार जब रावण छोटे थे तब उनकी माता ने उन्हें नौ मोतियों वाला हार दिया था. उस हार में रावण के नौ सिरो की परछाई दिखाई देती थी. यह कहा जाता ही की रावण के अंदर 10 सिरो के बराबर दिमाग था इसी कारण उसे दशानन भी कहा जाता था.