श्रीनगर से करीब 27 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है एक मंदिर – खीर भवानी मंदिर – जो कश्मीरी पंडितों की आस्था के एक बड़ा केंद्र है.
इसी खीर भवानी मंदिर में मौजूद है एक ऐसा कुंड, जिसके बारे में कहा जाता है कि कश्मीर में होनेवाली किसी भी अनहोनी का संकेत सबसे पहले इस कुंड के ज़रिए पता चल जाता है.
इस कुंड को लेकर लोगों की मान्यता है कि इस कुंड में किसी भी बड़ी अनहोनी को समय से पूर्व भांप लेने की शक्ति है. तभी तो विपत्ति का आभास होते ही इस कुंड का पानी काला पड़ जाता
हिंदुओ की आस्था का केंद्र है खीर भवानी मंदिर
जम्मू-कश्मीर में गान्दरबल ज़िले के तुलमुला गाँव में एक पवित्र पानी के चश्मे के ऊपर स्थित मंदिर है, जो खीर भवानी मंदिर से जाना जाता है.
खीर भवानी देवी की पूजा लगभग सभी कश्मीरी हिन्दू और बहुत से ग़ैर-कश्मीरी हिन्दू भी करते हैं. पारंपरिक रूप से वसंत ऋतू में इन्हें खीर चढ़ाई जाती थी इसलिए इनका नाम ‘खीर भवानी’ पड़ा.
विपत्ति की आहट पाते ही काला पड़ जाता है खीर भवानी मंदिर के कुंड का पानी, इस खीर भवानी मंदिर की एक खास बात यह है कि देश में बड़ी विपदा आने से पहले इस मंदिर के कुंड का पानी काला हो जाता है.
इस कुंड के जल का रंग काला या गहरा होने पर कश्मीर के लिए अशुभ संकेत माना जाता है. कहा जाता है कि कुंड का पानी जब काला पड़ जाता है तो ये संकेत होता है कि कश्मीर में कोई बड़ी विपत्ति आनेवाली है.
झरने में अर्पित करते हैं दूध और खीर
इस मंदिर में एक षट्कोणीय झरना है जिसे देवी मां का प्रतीत माना जाता है. यहां आनेवाले अधिकांश श्रद्धालु मंदिर परिसर में बने इस पवित्र झरने में दूध एवं खीर अर्पित करते हैं.
ऐसी मान्यता है कि मंदिर के नीचे बहने वाले इस पवित्र झरने के रंग से घाटी की स्थिति का संकेत मिलता है. कश्मीर में आई कई विपदाओं से पहले इस कुंड के पानी का रंग बदल चुका है.
कश्मीर में बाढ़ आने से पहले ही कुंड ने दिया था संकेत
साल 2014 में जब कश्मीर में बाढ़ आई थी तब भी आपदा आने से पहले इस मंदिर के कुंड का पानी गहरा काला हो गया था. काले रंग के इस पानी को देखकर सभी पंडित ये जान गए थे कि कोई बड़ी आपदा आने वाली है
सालभर दर्शन के लिए आते हैं श्रद्दालु
खीर भवानी मंदिर साल भर खुला रहता है, लेकिन जून से लेकर अगस्त तक यहां कुछ ज्यादा ही रौनक देखने को मिलती है. हर साल देश-विदेश में बसे तमाम कश्मीरी पंडित साल में एक बार माता खीर भवानी के दर्शन करने के लिए ज़रूर आते हैं. जम्मू कश्मीर घूमने आने वाले सैलानी भी इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते
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