भारत में कई किले हैं जो अपने अनोखे इतिहास और रहस्यों के लिए जाने जाते हैं। ये किले अपनेआप में कई अनूठी कहानी समेटे हुए हैं। इन्हीं कई रहस्यों से भरे किलों में से एक हैं मध्य प्रदेश के भोपाल में स्थित रायसेन का किला। इसके बारे में कहा जाता है कि यहां शासन कर रहे राजा ने खुद अपनी रानी का सिर काट दिया था। कहते हैं कि यहां के राजा राजसेन के पास पारस पत्थर था, जो लोहे को भी सोना बना सकता था। तो आइये जानते हैं इसकी ऐतिहासिक कहानी के बारे में।
कहते हैं कि शेरशाह सूरी ने इस किले को जीतने के लिए तांबे के सिक्कों को गलवाकर तोपें बनवाईं थी, जिसकी बदौलत ही उसे जीत नसीब हुई थी। हालांकि कहा जाता है कि 1543 ईस्वी में इसे जीतने के लिए शेरशाह ने धोखे का सहारा लिया था। उस समय इस किले पर राजा पूरनमल का शासन था। उन्हें जैसे ही ये पता चला कि उनके साथ धोखा हुआ है तो उन्होंने दुश्मनों से अपनी पत्नी रानी रत्नावली को बचाने के लिए उनका सिर खुद ही काट दिया था। इस किले से जुड़ी एक बेहद ही रहस्यमय कहानी है। इस रहस्यमय पत्थर के लिए कई युद्ध भी हुए थे, लेकिन जब राजा राजसेन हार गए तो उन्होंने पारस पत्थर को किले में ही स्थित एक तालाब में फेंक दिया।
कहते हैं कि कई राजाओं ने इस किले को खुदवाकर पारस पत्थर को खोजने की कोशिश की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। आज भी लोग यहां रात के समय पारस पत्थर की तलाश में तांत्रिकों को अपने साथ लेकर जाते हैं, लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगती है। इसको लेकर ये कहानी भी प्रचलित है कि यहां पत्थर को ढूंढ़ने आने वाले कई लोग अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं, क्योंकि पारस पत्थर की रक्षा एक जिन्न करता है। हालांकि, पुरातत्व विभाग को अब तक ऐसा कोई भी सबूत नहीं मिला है, जिससे पता चले कि पारस पत्थर इसी किले में मौजूद है, लेकिन कही-सुनी कहानियों की वजह से लोग चोरी-छिपे पारस पत्थर की तलाश में इस किले में पहुंचते हैं।
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