भारत को अपने अनोखे इतिहास के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता हैं, जब बात इतिहास की आती हैं तो राजस्थान और राजस्थान के किलों का अपना अलग ही महत्व दिखाई देता हैं। आज इस कड़ी में हम आपको एक अनोखे किले के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ से पूरा पाकिस्तान देखा जा सकता हैं। हम बात कर रहे हैं राजस्थान के जोधपुर में स्थित मेहरानगढ़ दुर्ग या मेहरानगढ़ फोर्ट की। इससे जुड़े रहस्य भी आपनेआप में अनोखे हैं। तो आइये जानते हैं इस किले के बारे में।
15वीं शताब्दी में इस किले की नींव राव जोधा ने रखी थी, लेकिन इसके निर्माण का कार्य महाराज जसवंत सिंह ने पूरा किया। यह किला भारत के प्राचीनतम और विशाल किलों में से एक है, जिसे भारत के समृद्धशाली अतीत का प्रतीक माना जाता है। आठ द्वारों और अनगिनत बुर्जों से युक्त यह किला ऊंची-ऊंची दीवारों से घिरा है। वैसे तो इस किले के सात ही द्वार (पोल) हैं, लेकिन कहते हैं कि इसका आठवां द्वार भी हैं जो रहस्यमय है। किले के प्रथम द्वार पर हाथियों के हमले से बचाव के लिए नुकीली कीलें लगवाई गई थीं।
इस किले के अंदर कई भव्य महल, अद्भुत नक्काशीदार दरवाजे और जालीदार खिड़कियां हैं, जिनमें मोती महल, फूल महल, शीश महल, सिलेह खाना और दौलत खाना बेहद खास हैं। किले के पास ही चामुंडा माता का मंदिर है, जिसे राव जोधा ने 1460 ईस्वी में बनवाया था। नवरात्रि के दिनों में यहां विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
मेहरानगढ़ किले के बनने की कहानी कुछ इस तरह है कि राव जोधा जब जोधपुर के 15वें शासक बने, उसंके एक साल बाद ही उन्हें लगने लगा कि मंडोर का किला उनके लिए सुरक्षित नहीं है। इसलिए उन्होंने अपने तत्कालीन किले से एक किलोमीटर दूर पहाड़ी पर एक किला बनवाने की सोची। उस पहाड़ी को ‘भोर चिड़ियाटूंक’ के नाम से जाना जाता था, क्योंकि वहां काफी संख्या में पक्षी रहते थे। माना जाता है कि राव जोधा ने 1459 में इस किले की नींव रखी थी।
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