December 20, 2024

Visitor Place of India

Tourist Places Of India, Religious Places, Astrology, Historical Places, Indian Festivals And Culture News In Hindi

Navratri 2019: नवरात्र का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित, जानें व्रत कथा

भारत देश को त्यौंहारों का देश कहा जाता हैं जिसमे हर रोज कोई ना कोई त्यौंहार तो आता ही है। अब आने वाले दिनों में नवरात्र का पावन पर्व आने वाला हैं जो पूरे भारतदेश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हैं। नवरात्र के इस पावन पर्व में पूरे नौ दिनों तक मातारानी के नौ रूपों की पूजा की जाती हैं और आशीर्वाद की कामना की जाती हैं। नवरात्र का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित होता हैं और इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इसलिए आज हम आपके लिए मां सिद्धिदात्री से जुड़ी व्रत कथा(vrat katha) लेकर आए हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

माँ सिद्धिदात्री(siddhidatri) के बारे अनेक कथा प्रसंग प्राप्त होते हैं। जिसमें दुर्गा सप्तशती के कुछ प्रसंग माँ सिद्धि दात्री के विषय में है। क्योंकि इन्हीं के द्वारा ही व्यक्ति को सिद्धि, बुद्धि व सुख-शांति की प्राप्ति होगी। और घर का क्लेश दूर होता है। पारिवार में प्रेम भाव का उदय होता है। अर्थात् यह देवी ही सर्वमय हैं, जिसे एक कथानक में देवी स्वतः ही स्वीकार किया है कि -इस संसार में मेरे सिवा दूसरी कौन है? देख, ये मेरी ही विभूतियाँ हैं, अतः मुझमें ही प्रवेश कर रही हैं।

तदनन्तर ब्रह्माणी आदि समस्त देवियाँ अम्बिका देवी के शरीर में लीन हो गयीं। उस समय केवल अम्बिका देवी ही रह गयीं। देवी बोली- मैं अपनी ऐश्वर्य शक्ति से अनेक रूपों में यहाँ उपस्थित हुई थी। उन सब रूपों को मैंने समेट लिया। अब अकेली ही युद्ध में खड़ी हूँ। तुम भी स्थिर हो जाओ। तदनन्तर देवी और शुम्भ दोनों में सब देवताओं तथा दानवों के देखते-देखते भयंकर युद्ध छिड़ गया।

ऋषि कहते हैं – तब समस्त दैत्यों के राजा शुम्भ को अपनी ओर आते देख देवी ने त्रिशूल से उसकी छाती छेदकर उसे पृथ्वी पर गिरा दिया। देवी के शूल की धार से घायल होने पर उसके प्राण-पखेरू उड़ गये और वह समुद्रों, द्वीपों तथा पर्वतों सहित समूची पृथ्वी को कॅपाता हुआ भूमि पर गिर पड़ा। तदनन्तर उस दुरात्मा के मारे जाने पर सम्पूर्ण जगत् प्रसन्न एवं पूर्ण स्वस्थ हो गया तथा आकाश स्वच्छ दिखायी देने लगा। पहले जो उत्पात सूचक मेघ और उल्कापात होते थे, वे सब शान्त हो गये तथा उस दैत्य के मारे जाने पर नदियां भी ठीक मार्ग से बहने लगीं।