ओशो द्वारा अध्यात्मिक गुरू रिनजई के बारे में सुनाई गई एक कहानी। रिनजई अपने गुरू के साथ लगभग बीस वर्ष रहा। एक दिन रिनजई अपने गुरू के स्थान पर जाकर बैठ गया। जब गुरू कमरे में आए तब रिनजई को अपनी गद्दी पर बैठे देखकर वे चुपचाप रिनजई के स्थान पर बैठ गए।
Osho Story On Zen Master Rinzai in Hindi :-
वैसे तो उनके बीच कोई वार्तालाप नहीं हुआ परंतु वार्तालाप हुआ। रिनजई ने गुरू से पूछा, “क्या आप अपमानित नही हुए? क्या मैंने आपका अपमान किया है? क्या मैं आपके प्रति कृतघ्न हूँ? गुरू हँसे और बोले, “तुम एक छात्र से शिष्य बने और शिष्य से गुरू बने।
मैं खुश हूँ क्योंकि अब तुम मेरा काम बाँट सकते हो। अब रोज मेरी बारी की आवश्यकता नही होगी। मैं जानता हूँ कि कोई और है जो मेरा काम कर सकता है।
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