आज हम लद्दाख की पांगोंग त्सो झील (Pangong Tso Lake) के बारे में आपको बताएँगे। भारत में घूमने के लिए सर्वश्रेठ जगहों में से एक है लद्दाख। यहाँ आकर सभी लोग प्रकृति के बहुत ही समीप आ जाते है। लद्दाख में अनेकों घाटिया और झील है। लद्दाख में सबसे मशहूर झीलों में से एक है पांगोंग झील।
Pangong Tso Lake की ऊँचाई एवं नुब्रा घाटी से दूरी-
पांगोंग झील, नुब्रा घाटी से एक दम विपरीत दिशा में है। पांगोंग झील, नुब्रा घाटी से 274.2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। नुब्रा घाटी घूमने के बाद ही पांगोंग झील घूमना उचित माना जाता है। पांगोंग झील की समुद्र तल से ऊँचाई लगभग 4,350 मीटर है। इस झील की सबसे ख़ास विशेषता यह है कि, पांगोंग झील दुनिया की सबसे ज़्यादा खारे पानी की झील है। इसका पानी, नीले रंग की तरह दिखता है। पांगोंग झील लगभग 160 किलोमीटर तक फैली हुई सबसे बड़ी झीलों में से एक है। जिसका एक तिहाई हिस्सा भारत में एवं दो तिहाई हिस्सा चीन में स्थित है।
कैसे पड़ा इस झील का नाम ‘Pangong Tso Lake’ –
लेह लद्दाख की प्रसिद्ध झीलों में से एक मानी जाने वाली पांगोंग झील का नाम तिब्बती शब्द “पांगोंग त्सो” पर पड़ा है। जिसका हिंदी में अर्थ होता है, ऊंचे घास के मैदानों वाली झील। इस झील की एक और ख़ास विशेषता है, यह झील समय-समय पर अलग-अलग रंग बदलने के लिए भी मशहूर है। इस झील का रंग कभी नीला, कभी हरा, तो कभी लाल भी दिखाई देता है। जो की अद्भुत है। यह झील अनेकों विशेषताओं को समेटें हुए है। जो लद्दाख की खूबसूरती में चार चाँद लगाती है।
अधिकतर पर्यटक यहाँ आ कर अपना अधिक से अधिक समय व्यतीत करते है। इस झील के समीप आकर आपार आनंद शांति की अनुभूति होती है। इस झील की प्राकृतिक बनावट लाजवाब है जिसका शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता। यह झील लद्दाख आने वाले हर पर्यटक को अपनी सुंदरता की वजह से, अपनी ओर खींच ही लेती है।
Pangong Tso Lake की कैंपिंग –
पांगोंग झील में कैंपिंग होती है। इसके आस-पास के तटों पर पर्यटक कैंप लगाकर इस झील के पास अपना समय बिताते है एवं इस झील के पास मौजूद वातावरण का आनंद लेते है। पांगोंग झील के पास सूर्योदय देखने का अलग ही अनुभव मिलता है। प्रकृति इस झील पर पूरी तरह से मेहरबान है। यहाँ पहुंच के पर्यटक स्वयं को प्रकृति के बेहद ही नज़दीक पाते है।
इस झील में बहुत से पर्यटक यात्रा को रोमांचक चुनौतियों से भरा बनाने के लिए इस ठन्डे पानी की झील में डुबकी भी लगाते है। पांगोंग झील से 10 किलोमीटर दूरी पर गिलहरी जैसे दिखने वाले ‘मार्मोट’ पाए जाते है। यह अक्सर दिन में दिखाई दे जाते है। मार्मोट एक दुर्लभ प्रजातियों में से एक है। जो सामान्य रूप से हर जगह नहीं पाए जाते है। इस प्रजाति की संख्या बहुत ही कम है। किन्तु यह दिखने में बहुत खूबसूरत होते है। मार्मोट गिलहरी की तरह ही बड़े फुर्तीले और तेज़ होते है। यह गुण इनके सबसे अच्छे गुणों में से एक है। यह लोगो के समीप नहीं जाते, अपितु उनसे दूर भागते है। इसलिए इन्हे देखने के लिए थोड़ा संघर्ष करना पड़ता है।
भोजन और स्वाद –
पांगोंग झील के पास साधारण भोजन ही मिलता है लेकिन भोजन बहुत पौष्टिक होता है। साधारण भोजन होने के बाद भी स्वाद में यह भोजन काफी स्वादिष्ठ होता है। वहां जो भोजन मिलता है वो तिब्बती एवं स्थानीय भोजन होता है।
कैसे जाए Pangong Tso Lake –
आपको हमने अपने आर्टिकल में पहले ही बताया था कि, Pangong Tso Lake, नुब्रा घाटी से एक दम विपरीत दिशा में है। यह पांगोंग झील, नुब्रा घाटी से 274.2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह उचित होगा कि, नुब्रा घाटी के बाद ही पांगोंग झील जाए, ऐसा करने से दोबारा यात्रियों को लेह जाने की आवश्यकता नहीं होगी। ऐसा करने से यात्री या पर्यटक अपना एक दिन का समय बचा सकते है।
वैसे Pangong Tso Lake पहुंचने के और भी मार्ग है जैसे की चंग ला पास, चंग ला पास लेह मार्ग के मध्य में पड़ता है। लेह से Pangong Tso Lake की दूरी लगभग 160-161 किलोमीटर है। जब पर्यटक लेह से सीधे पांगोंग झील जाते है तो उन्हें चंग ला पास से होकर जाना पड़ता है।
क्या है चंग ला पास –
चंग ला पास, दुनिया का सबसे ज़्यादा ऊंचा दूसरा मार्ग है। जिस पर सबसे ज़्यादा मोटरसाइकिल चलती है। हम यह भी कह सकते है कि, सबसे ज़्यादा मोटर साइकिल चलने वाला दुनिया का दूसरा सबसे ज़्यादा ऊंचा मार्ग चंग ला पास है। जो लगभग 17,586 फ़ीट यानि कि, 5360 मीटर ऊँचाई पर स्थित है। जहाँ पर ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम है, किन्तु फिर भी यह मार्ग बहुत चलता है। यह मार्ग सीधे पांगोंग झील की तरफ ले जाता है। Pangong Tso Lake से पहले इस मार्ग पर दुर्बुक एवं तंगत्से पड़ता है। तंगत्से पहुंचने के ठीक बाद 8 किलोमीटर की दूरी पर Pangong Tso Lake शुरू हो जाती है।
तंगत्से गोम्पा –
पांगोंग झील के समीप कुछ 8 किलो मीटर की दूरी पर तंगत्से गोम्पा पड़ता है। जो लगभग 17,590 फ़ीट की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ छोटे-छोटे कैफ़ेटेरिया बने हुए है। जोकि हिल्स जैसी जगहों पर बने होते है।
झील घूमने का सबसे अच्छा मौसम –
Pangong Tso Lake पर्यटक सालों भर घूम सकते है। यह पर्यटक पर निर्भर है कि, पर्यटक को बर्फ ज़्यादा पसंद है या साफ़ साधारण मौसम। नवंबर से फरवरी तक यहाँ बहुत कड़ाके की ठण्ड पड़ती है साथ ही बर्फ बारी होती रहती है। पांगोंग झील बर्फ की चादर से पूरी तरह से ढक जाती है। जिन पर्यटकों को स्कीइंग, स्नो आदि पसंद है वो पांगोंग झील इस समय जा है। कुछ पर्यटकों को ठण्ड ज़्यादा पसंद नहीं होती, उन्हें खुला साफ़ मौसम पसंद होता है, वो Pangong Tso Lake को अप्रैल से अगस्त तक के महीने में घूम सकते है। वैसे तो झील सालभर ही सुन्दर दिखाई देती है लेकिन अगर इस झील को गर्मी के मौसम में घूमेंगे तो, आप इस झील की बार-बार रंग बदलने की विशेषता जान पाएंगे।
अनुमति पत्र की होगी आवश्यकता
पांगोंग झील, घूमने के लिए आपको भारत सरकार की अनुमति की आवश्यकता पड़ेगी। इसका कारण यह है कि, लद्दाख के कुछ क्षेत्र एवं पांगोंग झील भारत-चीन-पाक बॉर्डर पर स्थित है। इसलिए वहाँ किसी विदेशी या स्वदेशी को बिना अनुमति पत्र के जाने की अनुमति नहीं है। इसलिए यदि कोई पांगोंग झील घूमने जाना चाहता है तो, उनको ‘इनर लाइन परमिट’ की आवश्यकता होगी। जो भारत सरकार द्वारा दिया जाता है। उसके लिए कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज लगते है।
- एक पासपोर्ट साइज फोटो
- पहचान पत्र जैसे कि – ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट, पैन कार्ड इत्यादि।
- पहचान पत्र की फोटो कॉपी
- ILP का ऑनलाइन भरे हुए फॉर्म की प्रतिलिपि।
- ILP फॉर्म के लिए भुगतान हेतु शुल्क INR 400 + प्रति दिन 20 रुपये।
यह सभी दस्तावेज टीआईसी कार्यालय, जम्मू-कश्मीर बैंक, मुख्य बाजार में स्थित कार्यालय में दिखाने होते है। वही ILP फॉर्म का शुल्क भी देना होता है। वही से अनुमति पत्र और अपने दस्तावेज की फोटो कॉपी लेकर पांगोंग झील जाने के लिए प्रस्थान कर सकते है।
ILP का फॉर्म ऑनलाइन होने की वजह से पर्यटकों के लिए लद्दाख में कही भी
जाना आसान हो गया है।
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