पितृपक्ष की शुरुआत 13 सितंबर को हो गई थी जो कि 28 सितंबर को समाप्त होने जा रहे हैं। इन दिनों में सभी अपने पूर्वजों का श्राद्ध करते हुए उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस बार पितृपक्ष जो शनिवार को समाप्त हो रहा हैं अर्थात पितृपक्ष और शनि अमावस्या का शुभ संयोग बन रहा हैं जो कि 20 साल बाद लोटकर आया हैं। इस सहुभ संयोग से श्राद्ध का महत्व और बढ़ जाता हैं। इसलिए आज हम आपके लिए कुछ ऐसे उपाय लेकर आए हैं जिनकी मदद से पितरों और शनि देव दोनों का आशीर्वाद आपको प्राप्त होगा। तो आइये जानते हैं इन उपायों के बारे में।
– पितृपक्ष अमावस्या (amawasya) पर पीपल के पेड़ की विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए। ऐसी मान्यता है पितर श्राद्ध पक्ष के दौरान पीपल के पेड़ पर अपना निवास स्थान बनाते हैं। श्राद्ध के अंतिम दिन पीपल के पत्तों पर जल और पांच तरह की मिठाइयां रखनी चाहिए।
– श्राद्ध (shradh) के अंतिम दिन चींटी, गाय,कौआ, कुत्ता को भोजन खिलाना चाहिए। ऐसा करने से पितरगण तृप्ति होते हैं और परलोक वापस जाते हैं।
– पितृपक्ष का आखिरी दिन और शनि अमावस्या के शुभ संयोग में गरीबों, असहायों की सेवा करने से कर्मदाता देवता भगवान शनि प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा इस दिन पितरों की विदाई से उनका आशीर्वाद मिलता है।
– पितृपक्ष अमावस्या और शनि अमावस्या के संयोग का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाने के लिए इस दिन काले तिल, उड़द, गुड़, जूता, वस्त्र, जौ, आदि को पितरों को याद करते हुए किसी जरूरतमंद या गरीब को दान करें।
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