1.रानी की वाव 11 वीं शताब्दी ईस्वी में राजा भीमदेव प्रथम के स्मारक के रूप में बनाया गया था।
2.रानी का वाव का निर्माण विधवा रानी उदयमती द्वारा 1063 से 1068 ईस्वी के दौरान किया गया था।
3.रानी की वाव भारत के गुजरात में पाटन शहर में सरस्वती नदी के तट पर स्थित है।
4.यह भारतीय उपमहाद्वीप पर भूमिगत जल संसाधन और भंडारण प्रणाली का एक विशिष्ट रूप है।
5.रानी की वाव लगभग 64 मीटर लंम्बी , 20 मीटर चौड़ी और 27 मीटर गहरी है यह अपने प्रकार की सबसे बड़ी और सबसे भव्य संरचनाओं में से एक है।
6. स्टेप के आखिरी चरण के नीचे एक छोटा गेट भी है, जिसमें 30 किलोमीटर की सुरंग है, जो वर्तमान में पत्थरों और मिट्टी से ढकी हुई है।
7.लगभग 50-60 साल पहले इस क्षेत्र के आसपास आयुर्वेदिक पौधे थे, जिस कारन रानी की वाव में जमा पानी को वायरल रोग, बुखार इत्यादि के लिए सहायक माना जाता था।
8.रानी की वाव 22 जून 2014 को यूनेस्को द्वारा हाल ही में इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध, किया गया है।
9.केंद्रीय स्तर में कल्कि, राम, कृष्णा, नरसिंह, वामन, वरही और बुद्ध समेत भगवान विष्णु के दस अवतार’ को
दर्शाती हुई मुर्तियां है।
10.माना जाता है कि सरस्वती नदी वाव के बगल में बहती थी। और नदी में आई बाढ़ ने इसे मिट्टी से ढक दिया था इसके बाद लगभग 9 सदियों बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ASI द्वारा इसे खोजा गया था। ASI ने 1958 में साइट को खोदना शुरू किया और वाव को ठीक करने के लिए गंध और मलबे को हटा दिया।
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