वाराणसी. सारनाथ, बौद्ध धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल है, जो वाराणसी से लगभग 10 पूर्वोत्तर में स्थित है। ज्ञान प्राप्ति के बाद भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश यहीं सारनाथ में ही दिया था, जिसे ‘धर्म चक्र प्रवर्तन’ का नाम दिया जाता है और जो बौद्ध मत के प्रचार-प्रसार का आरंभ था।
सारनथ बौद्ध धर्म के चार प्रमुख तीर्थों में से एक है। सारनाथ के अलावा लुम्बिीनी, बोधगया और कुशीनगर तीन अन्य प्रमुख तीर्थ है।
बौद्ध धर्म के अलावा सारनाथ को जैन धर्म और हिन्दू धर्म में भी महत्व प्राप्त है। जैन ग्रन्थों में इसे सिंहपुर कहा गया है और ऐसा माना जाता है कि जैन धर्म के ग्यारहवें तीर्थंकर श्रेयांसनाथ का जन्म यहां से थोड़ी दूर पर हुआ था। वहीं यहां पर सारंगनाथ महादेव का मन्दिर भी है, जहां सावन के महीने में मेला लगता है।
सारनाथ में अशोक का चतुर्मुख सिंहस्तम्भ, भगवान बुद्ध का मन्दिर, धामेख स्तूप, चैखन्डी स्तूप, राजकीय संग्राहलय, जैन मन्दिर, चीनी मन्दिर, मूलंगधकुटी और नवीन विहार आदि दर्शनीय हैं। भारत का राष्ट्रीय चिह्न सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ के मुकुट की द्विविमीय अनुकृति है। समय के साथ-साथ सारनाथ तीर्थ स्थल के साथ ही पर्यटन स्थल के रूप में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है।
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