December 20, 2024

Visitor Place of India

Tourist Places Of India, Religious Places, Astrology, Historical Places, Indian Festivals And Culture News In Hindi

नवरात्रि 2018: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा दूसरे दिन होती है, जानें पूजा विधि और मंत्र

भगवती दुर्गा की नौ शक्तियों का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। देवी दुर्गा का यह स्वरूप एक ऐसी कन्या का है, जो भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या करने के कारण देवी को तपश्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया।

आनन्दमय ब्रह्मस्वरूप की प्राप्ति शीघ्र कराने वाली देवी स्वभाव से तरल एवं दुष्टों को सत्मार्ग दिखाने वाली का पूजन शारदीय नवरात्रि के द्वितीय दिन ब्रह्मचारिणी के नाम से होता है। इस बार इनका दर्शन-पूजन 11 अक्टूबर, गुरुवार को होगा।

नौ दुर्गा में ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय व अत्यंत भव्य है। इनके दाहिने हाथ में जप की माला व बाएं हाथ में कमंडल रहता है। साधक यदि भगवती के इस स्वरूप की आराधना करता है तो उसमें तप करने की शक्ति, त्याग, सदाचार, संयम और वैराग्य में वृद्धि होती है। जीवन के कठिन से कठिन संघर्ष में वह विचलित नहीं होता है। भगवती ब्रह्मचारिणी की कृपा से उसे सदैव विजय प्राप्त होती है।

शक्ति पूजन की दृष्टि से ब्रह्मचारिणी दुर्गा की उपासना का खास महत्व है। देवी की महिमा का बखान इस मंत्र में है। ‘ब्रह्मम चारयितुं शील यास्या: सा ब्रह्मचारिणी अर्थात जो देवी सच्चिदानंदमय ब्रह्म स्वरूप को प्राप्त करने वाले स्वभाव की हो, वह मूर्ति ब्रह्मचारिणी की है।

मन्त्र:

ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी ।

सच्चीदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते ।।

दुर्गाघाट में है मंदिर:

ब्रह्मचारिणी देवी का मंदिर दुर्गाघाट क्षेत्र में स्थित है। साधक नवरात्र के द्वितीय दिवस ब्रह्मचारिणी देवी का ध्यान इसी रूप में करें तथा तीन वर्ष की सुंदर व निरोगी कन्या का पूजन करें तो उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।