जिद्दी और अड़ियल बच्चों को मनाना पेरेंट्स के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है। कई बार ऐसे बच्चों की परवरिश पर भी सवाल उठने लगते हैं। बच्चों की कुछ बातें नजरअंदाज करते जाने से ही वो और जिद्दी और अड़ियल बन जाते हैं। भारतीय माता-पिता तो वैसे भी काफी सख्त माने जाते हैं और कई बार वो अपने बच्चों समझाने के चक्कर में कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते है जिसके खामियाजा उन्हें बाद में उठाना पड़ता है। तो ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे है जिनकी मदद से आप जिद्दी और अड़ियल बच्चों को समझदार बना सकते है…
बच्चों को बातों को सुने
अगर आप चाहते है कि आपका जिद्दी बच्चा आपकी बातों को सुने तो इसके लिए आपको उनकी बातों को ध्यान से सुनना होगा। कई बार देखा गया है की मजबूत इच्छाशक्ति वाले बच्चों की बातें भी बहुत मजबूत होती है और अपनी बातों को लेकर कई बार वे बहस भी करने लगते है ऐसे अगर आप उनकी बात नहीं सुनेंगे तो वो और ज्यादा जिद्दी हो जाएंगे। बच्चा अगर अपनी को लेकर जिद करने लगे तो शांति और धैर्य से उनकी बात सुनें और जब तक उनकी बात खत्म नहीं हो जाए उन्हें टोकें नहीं।
बच्चों के साथ जबर्दस्ती ना करें
जब आप किसी भी चीज को लेकर बच्चों के साथ जबर्दस्ती करते हैं तो वे आपसे विद्रोह करने लगते है और यही आदत आगे चलकर उन्हें जिद्दी और अड़ियल बना देती है। बच्चों से जबर्दस्ती कुछ भी काम न कराए। आपकी जबर्दस्ती करने से वे वही काम करने लगते है जिनके लिए उनको मना किया जाता है। आप बच्चों से जबर्दस्ती न करे बल्कि उनसे जुड़ने का प्रयास करें। उनकी पसंद ना पसंद के बारे में जाने। ऐसा करने से वो आपको अपनी हर बात बताएगा। ऐसे में आप उसको बड़े प्यार से समझा सकते है कि क्या सही है और क्या गलत है।
बच्चों को विकल्प दें
सबसे जरुरी बात बच्चों को आर्डर मत दो। बल्की उन्हें सुझाव और विकल्प दें। जैसे बच्चे को जबरदस्ती सुलाने की बजाय उससे पूछे कि सोते समय वो कौन सी स्टोरीज या किताब पड़ना पसंद करेगा। अगर ऐसे फिर भी बच्चा आपकी बात नहीं मानता है तो आप अपना धैर्य बनाए रखे। अपनी बात को कई बार कहें लेकिन बिना आपा खोए। आपका बच्चा जल्द ही अपनी जिद छोड़ देगा।
शांति से अपनी बात बच्चों के सामने रखें
अगर आप हर बात पर अपने बच्चे पर चिल्लाएंगे तो आपका बच्चा आपकी आपसे सीख कर उसी तरह आपको जवाब देगा। बच्चे के साथ बातचीत को हमेशा एक निष्कर्ष तक ले जाएं ना कि कोई विवाद खड़ा हो जाए। हमेशा याद रखें कि आपको अपने बच्चे को कुछ समझाना है ना कि उसके साथ वाद-विवाद करना है। बच्चों के साथ उनके पसंदीदा काम में शामिल होने से वो भी आपकी बातों को सुनने लगेंगे।
बच्चों का सम्मान करें
अगर आप चाहते है कि आपका बच्चा आपकी हर बात सुने तो आपको भी उनकी हर बातों का सम्मान करना होगा। कोई भी चीज उनपर थोपे नहीं। थोपने से बच्चे बातों को मानने से इनकार कर देते हैं। किसी भी काम में बच्चे से उसका सहयोग मांगे। बच्चों के लिए एक नियम बनाएं और उसमें बिल्कुल भी ढील ना दें। उनकी भावनाओं और विचारों को तुरंत खारिज ना करें। आपके बच्चे खुद से जो काम कर सकते हैं, करने दें। ऐसी स्तिथि में उनको अहसास होगा कि आप उनपर विश्वास रखते है।
उनके साथ काम करें
जिद्दी और अड़ियल बच्चे बहुत ज्यादा संवेदनशील होते हैं उनके साथ किया गया व्यवहार उनके दिल और दिमाग पर गहरा असर डालता है। इसलिए अपनी आवाज, बॉडी लैंग्वेज, अपने शब्दों को लेकर खास सावधानी बरतें। जब उन्हें आपका व्यवहार अच्छा नहीं लगता है तो वो आपकी हर बात का उल्टा जवाब देने लगते है और ऐसी स्तिथि में पेरेंट्स को गुस्सा आ जाता है। उदाहरण के तौर पर ‘तुम ये करो’, ‘तुमसे मैंने ये कहा था’ के बजाए ‘चलो ऐसा करते हैं’, ऐसा करें क्या? ये कहें। अगर आप अपने बच्चे से कुछ करवाना चाहती हैं तो उसे कुछ मजेदार तरीके से करवाएं।
सौदेबाजी भी है जरूरी
कई बार अपने बच्चों के साथ निगोशिएट करना भी जरूरी होता है। जब बच्चों को अपनी मर्जी की चीज नहीं मिलती है तो वे जिद दिखाने लगते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि आफ उनकी हर मांग को मान लें। आप सूझबूझ और बात करके इसका हल निकालें। उदाहर के तौर पर- अगर आपका बच्चा सही वक्त पर सोना नहीं चाह रहा है तो उसी वक्त पर सोने का दबाव डालने के बजाए थोड़ी सी ढील दे दें जिससे कि दोनों की मांगे पूरी होती नजर आए।
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