छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा के मेंडका डबरा मैदान में रविवार को 300 जोड़ों के सामूहिक विवाह समारोह में एक दूल्हे को मिर्गी का दौड़ा पड़ा और बेहोश हो गया। उसके मुंह से झाग निकलते देख महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसर बीएस ठाकुर ने जूता निकाला। तुरंत अपर कलेक्टर अभिषेक अग्रवाल ने उसे जूता सुंघाया। दूल्हे का नाम बुधराम है। हालांकि, बाद में उसे अस्पताल ले जाया गया।
जगदलपुर में एमडी मेडिसिन डॉ. खिलेश्वर सिंह ने बताया कि यह अंधविश्वास है। मिर्गी रोगी को जूता-प्याज सुंघाने, चाबी या लोहे का सामान मुंह में डालने से कुछ नहीं होता। रोगी को खुली हवा में किसी भी करवट में लिटाना चाहिए, चार-पांच मिनट में रोगी खुद सामान्य हो जाता है।
आपको बता दे, मिर्गी किसी को भी हो सकती है। कई लोगों की धारणा रहती है कि दिमाग पर जोर पडने से मिर्गी होने का डर रहता है लेकिन यह सच नहीं है। कई लोग खूब दिमागी काम करते हैं परन्तु स्वस्थ रहते हैं। मानसिक तनाव या अवसाद से मिर्गी नहीं होती है। अच्छे भले, हंसते-गाते इंसान को भी मिर्गी हो सकती है। मेहनत करने और थकने से भी मिर्गी नहीं होती, वरना ये आराम करने वाले को भी हो सकती है। कमजोरी या दुबलेपन से मिर्गी नहीं होती बल्कि खाते पीते पहलवान को भी हो सकती है, न ही मांसाहार करने से मिर्गी होती है, बल्कि शाकाहारी लोगों को भी उतनी ही संभावना से मिर्गी हो सकती है।
आपको बता दे, मिर्गी के दौरे की अवधि कुछ सेकेंड से लेकर दो-तीन मिनट तक होती है। और यदि यह दौरे लंबी अवधि तक के हों तो चिकित्सक से तत्काल परामर्श लेना चाहिये। कई मामलों में मिरगी की स्थिति पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अलग होती है। दोनों की स्थिति में अंतर का प्रमुख कारण महिलाओं और पुरुषों में शारीरिक और सामाजिक अंतर का होना होता है। जब रोगी को दौरे आ रहे हों, या बेहोश पडा हो, झटके आ रहे हों तो उसे साफ, नरम जगह पर करवट से लिटाकर सिर के नीचे तकिया लगाकर कपडे ढीले करके उसके मुंह में जमा लार या थूक को साफ रुमाल से पोंछ देना चाहिये। दौरे का काल और अंतराल समय ध्यान रखना चाहिये। ये दौरे दिखने में भले ही भयानक होते हों, पर असल में खतरनाक नहीं होते। दौरे के समय इसके अलावा कुछ और नहीं करना होता है, व दौरा अपने आप कुछ मिनटों में समाप्त हो जाता है। उसमें जितना समय लगना है, वह लगेगा ही।
क्या नहीं करना चाहिए
ये ध्यान-योग्य है कि रोगी को जूते या प्याज नहीं सुंघाना चाहिये। ये गन्दे अंधविश्वास हैं व बदबू व कीटाणु फैलाते हैं। इस समय हाथ पांव नहीं दबाने चाहिये न ही हथेली व पंजे की मालिश करें क्योंकि दबाने से दौरा नहीं रुकता बल्कि चोट व रगड़ लगने का डर रहता है। रोगी के मुंह में कुछ नहीं फंसाना चाहिये। यदि दांतों के बीच जीभ फंसी हो तो उसे अंगुली से अंदर कर दें अन्यथा दांतों के बीच कटने का डर रहता है
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