वाराणसी: करीब सवा 5 लाख स्क्वायर फीट में बना काशी विश्वनाथ धाम बनकर पूरी तरह तैयार है. इस भव्य कॉरिडोर में छोटी-बड़ी 23 इमारतें और 27 मंदिर हैं। इस पूरे कॉरिडोर को लगभग 50,000 वर्ग मीटर के एक बड़े परिसर में बनाया गया है. इस कॉरिडोर को 3 भागों में बांटा गया है. इसमें 4 बड़े-बड़े गेट और प्रदक्षिणा पथ पर संगमरमर के 22 शिलालेख लगाए गए हैं.जिसमें काशी की महिमा का वर्णन है। इसकी आभा पूरे विश्व में फैल चुकी है। यहां इस बार सावन में लाखों की संख्या में भत्तों ने पहुंचकर बाबा विश्वनाथ के दरबार में हाजिरी लगाई। इस बीच एक और खुशखबरी सामने आई है। मोक्ष की नगरी कही जाने वाली काशी में बाबा विश्वनाथ के दरबार में मुमुक्षु भवन का भी उद्घाटन कर दिया गया है, जिसका नाम बैधनाथ हॉल दिया गया है. उद्घाटन होते ही सबसे पहले 7 बुजुर्ग इस भवन में अपने जीवन का अंतिम सांस लेने के लिए आए हैं. इन बुजुर्गों ने यहां अपने जीवन के अंतिम सांस लेने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है.
मोक्ष भवन में जीवन के आखिरी पल बिताने वाले इन बुजुर्गों के रहने की उत्तम व्यवस्था की गई है. सोने के लिए बढ़िया बिस्तर, तकिया-चादर और भोजन की उत्तम व्यवस्था की गई है. ये सारी व्यवस्थाएं मंदिर प्रशासन की तरफ से बिल्कुल निशुल्क है. इस भवन में पहले चरण में कुल 40 बेड लगाए गए, जिसमें सबसे पहले सात बुजुर्गों ने एंट्री ले ही है. अब यहां बुजुर्ग अपनी मौत का इंतजार करेंगे.
बता दें कि काशी में कहा जाता है कि जीवन का अंतिम सांस लेने वालों को मोक्ष की प्राप्ति मिलती है. यही कारण है कि सदियों से लोग यहां आकर अपने जीवन के अंतिम सांस लेना चाहते हैं. यही वजह है कि विश्वनाथ धाम में इस सुविधा का निर्माण किया गया है, जहां मुमुक्षु भवन में मोक्ष की कामना करने वाले को पूरी हाईटेक व्यवस्था दी जा रही है.
खास बात यह है कि धाम में तैयार इस भवन में एंट्री के लिए जो बुजुर्ग यहां आखिरी समय बिताने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करवाएंगे, उनको बाबा विश्वनाथ के चरणों में जाने के लिए ज्यादा दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी, क्योंकि के यह भवन, बाबा के गर्भगृह के परिसर से बिल्कुल नजदीक है. इस भवन में फुल एयर कंडीशन हॉल है और सभी बुजुर्गों के लिए अलग-अलग आलमारी भी.
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