रामायण का एक महत्वपूर्ण पात्र थी रावण की पत्नी मंदोदरी जिसने रावन को समय-समय पर निति और अनीति में फर्क बताया था। पुराणों में मिले वर्णन के अनुसार लंकापति रावण की पत्नी एक मेंढक थी। आज हम आपको उसी पौराणिक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं जो इस बात को दर्शाती हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
हिन्दू पुराणों में दर्ज एक कथा के अनुसार, एक बार मधुरा नामक एक अप्सरा कैलाश पर्वत पर पहुंची और देवी पार्वती को वहां ना पाकर वह भगवान शिव को आकर्षित करने का प्रयत्न करने लगी। तभी देवी पार्वती वहां पहुंचती हैं और क्रोध में आकर इस अप्सरा को श्राप देती हैं कि वह 12 साल तक मेढक बनकर कुएं में रहेगी। भगवान शिव के बार-बार कहने पर माता पार्वती ने मधुरा से कहा कि कठोर तप के बाद ही वह अपने असल स्वरूप में वापस आ सकती है।
मधुरा लंबे समय तक कठोर तप करती है। इसी दौरान असुरों के देवता, मयासुर और उनकी अप्सरा पत्नी हेमा एक पुत्री की प्राप्ति के लिए तपस्या करते हैं। इसी बीच मधुरा की कठोर तपस्या से वह श्राप मुक्त हो जाती है। एक कुएं से मयासुर-हेमा को मधुरा की आवाज सुनाई देती है। मयासुर मधुरा को कुएं से बाहर निकालते हैं और उसे बेटी के रूप में गोद ले लेते हैं। मयासुर अपनी गोद ली पुत्री का नाम मंदोदरी रखते हैं। जिनसे रावण बाद में विवाह करता है।
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