आज बुधवार है और कई लोग आज के दिन व्रत रखकर बुध गृह को शांत और अनुकूल बनाते हैं। बुधवार के दिन रखा गया व्रत बुद्धि और शान्ति दिलाने के साथ ही सर्व-सुखों की प्राप्ति भी करवाता हैं। आज एक दिन रखा गया व्रत कुंडली में बुध की स्थिति को मजबूत बनाता हैं और बुध से होने वाले अशुभ प्रभावों का नाश करता हैं। आज हम आपके लिए बुधवार के व्रत की कथा लेकर आए हैं जिसे व्रत -पूजन के दौरान जरूर पढना या सुनना चाहिए। तो आइये जानते हैं बुधवार की व्रत कथा के बारे में।
एक समय किसी नगर में एक बहुत ही धनवान साहुकार रहता था। साहुकार का विवाह नगर की सुन्दर और गुणवंती लड़की से हुआ था। एक बार वो अपनी पत्नी को लेने बुधवार के दिन ससुराल गया और पत्नी के माता-पिता से विदा कराने के लिए कहा। माता-पिता बोले- बेटा आज बुधवार है। बुधवार को किसी भी शुभ कार्य के लिए यात्रा नहीं करते। लेकिन वह नहीं माना और उसने वहम की बातों को न मानने की बात कही।
दोनों ने बैलगाड़ी से यात्रा प्रारंभ की। दो कोस की यात्रा के बाद उसकी गाड़ी का एक पहिया टूट गया। वहां से दोनों ने पैदल ही यात्रा शुरू की। रास्ते में पत्नी को प्यास लगी तो साहुकार उसे एक पेड़ के नीचे बैठाकर जल लेने के लिए चला गया। थोड़ी देर बाद जब वो कहीं से जल लेकर वापस आया तो वह बुरी तरह हैरान हो उठा, क्योंकि उसकी पत्नी के पास उसकी ही शक्ल-सूरत का एक दूसरा व्यक्ति बैठा था। पत्नी भी साहुकार को देखकर हैरान रह गई। वह दोनों में कोई अंतर नहीं कर पाई। साहुकार ने उस व्यक्ति से पूछा- तुम कौन हो और मेरी पत्नी के पास क्यों बैठे हो। साहुकार की बात सुनकर उस व्यक्ति ने कहा- अरे भाई, यह मेरी पत्नी है। मैं अपनी पत्नी को ससुराल से विदा करा कर लाया हूं, लेकिन तुम कौन हो जो मुझसे ऐसा प्रश्न कर रहे हो?
साहुकार ने लगभग चीखते हुए कहा- तुम जरुर कोई चोर या ठग हो। यह मेरी पत्नी है। मैं इसे पेड़ के नीचे बैठाकर जल लेने गया था। इस पर उस व्यक्ति ने कहा- अरे भाई, झूठ तो तुम बोल रहे हो। पत्नी को प्यास लगने पर जल लेने तो मैं गया था। मैं तो जल लाकर अपनी पत्नी को पिला भी दिया है। अब तुम चुपचाप यहां से चलते बनो नहीं तो किसी सिपाही को बुलाकर तुम्हें पकड़वा दूंगा।
दोनों एक-दूसरे से लड़ने लगे। उन्हें लड़ते देख बहुत से लोग वहां एकत्र हो गए। नगर के कुछ सिपाही भी वहां आ गए। सिपाही उन दोनों को पकड़कर राजा के पास ले गए। सारी कहानी सुनकर राजा भी कोई निर्णय नहीं कर पाया। पत्नी भी उन दोनों में से अपने वास्तविक पति को नहीं पहचान पा रही थी। राजा ने उन दोनों को कारागार में डाल देने को कहा। राजा के फैसले को सुनकर असली साहुकार भयभीत हो उठा। तभी आकाशवाणी हुई- साहुकार तूने माता-पिता की बात नहीं मानी और बुधवार के दिन अपनी ससुराल से प्रस्थान किया। यह सब भगवान बुधदेव के प्रकोप से हो रहा है।
साहुकार ने भगवान बुधदेव से प्रार्थना की कि हे भगवान बुधदेव मुझे क्षमा कर दीजिए। मुझसे बहुत बड़ी गलती हुई। भविष्य में अब कभी बुधवार के दिन यात्रा नहीं करूंगा और सदैव बुधवार को आपका व्रत किया करूंगा। साहुकार की प्रार्थना से प्रसन्न होकर भगवान बुधदेव ने उसे क्षमा कर दिया। तभी दूसरा व्यक्ति राजा के सामने से गायब हो गया। राजा और दूसरे लोग इस चमत्कार को देखकर हैरान हो गए। भगवान बुधदेव् की अनुकम्पा से राजा ने साहुकार और उसकी पत्नी को सम्मानपूर्वक विदा किया।
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