नवरात्रि का अगला दिन विजयादशमी अर्थात रावण-दहन के रूप में मनाया जाता हैं जो कि बुराई पर सच्चाई की जीत को दर्शाता हैं। इस दिन सभी लोग एकसाथ रावण-दहन करते हैं और भगवान श्री राम के जयकारे लगाते है। रावण-दहन के दिन कई परंपराएं भी अपनाई जाती हैं जिसमें से एक है पान खाना। लेकिन आप शायद ही इसके कारण के बारे में जानते होंगे। तो आइये आज हम बताते हैं आपको इसके बारे में।
पान को प्रेम और जीत का प्रतीक माना गया है। साथ ही बीड़ा शब्द का भी अपना विशेष महत्व है, जिसे कर्तव्य के रूप में बुराई पर अच्छाई की जीत से जोड़कर देखा जाता है। यही कारण है कि दशहरे पर रावण दहन के बाद पान का बीड़ा खाया जाता है। दशहरे के दिन पान खाकर लोग असत्य पर हुई सत्य की जीत की खुशी मनाते हैं। लेकिन इस बीड़े को रावण दहन से पूर्व हनुमान जी को चढ़ाया जाता है, जिससे उनका आर्शिवाद मिल सके।
दशहरे पर पान खाने का एक कारण यह भी है कि इस समय मौसम में बदलाव होता है, जिससे संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में पान सेहत के लिए अच्छा होता है। एक कारण यह भी है कि नवरात्रि में 9 दिन के उपवास करने पर पाचन क्रिया प्रभावित होती है। ऐसे में पान खाने से भोजन पचाने में आसानी होती है।
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