नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा हैं और इसके समाप्त होते ही अगले दिन दशहरा (Dussehra ) मनाया जाता हैं। दशहरा को विजयादशमी या रावण दहन के रूप में भी जाना जाता हैं। इस बार दशहरा 8 अक्टूबर को मनाया जाना हैं। इसके पीछे पौराणिक रूप से कई कहानियां व्याप्त हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण हैं बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाने वाली भगवान श्रीराम की रावण पर विजय से जुड़ी हुई। तो आइये आज हम बताते हैं आपको इसकी कथा और दशहरे के महत्व के बारे में।
राम अयोध्या नगरी के राजकुमार थे, उनकी पत्नी का नाम सीता था एवम उनके छोटे भाई थे, जिनका नाम लक्ष्मण था। राजा दशरथ राम के पिता थे। उनकी पत्नी कैकई के कारण इन तीनो को चौदह वर्ष के वनवास के लिए अयोध्या नगरी छोड़ कर जाना पड़ा। उसी वनवास काल के दौरान रावण (Raavan) ने सीता का अपहरण कर लिया।
रावण चतुर्वेदो का ज्ञाता महाबलशाली राजा था, जिसकी सोने की लंका (Lanka) थी, लेकिन उसमे अपार अहंकार था। वो महान शिव भक्त था और खुद को भगवान विष्णु का दुश्मन बताता था। वास्तव में रावण के पिता विशर्वा एक ब्राह्मण थे एवं माता राक्षस कुल की थी, इसलिए रावण में एक ब्राह्मण के समान ज्ञान था एवम एक राक्षस के समान शक्ति और इन्ही दो बातों का रावण में अहंकार था। जिसे ख़त्म करने के लिए भगवान विष्णु (Lord Vishnu) ने रामावतार लिया था।
राम ने अपनी सीता को वापस लाने के लिए रावण से युद्ध किया, जिसमे वानर सेना एवम हनुमान जी (Hanuman) ने राम का साथ दिया। इस युद्ध में रावण के छोटे भाई विभीषण ने भी भगवान राम का साथ दिया और अन्त में भगवान राम ने रावण को मार कर उसके घमंड का नाश किया। इसी विजय के स्वरूप में प्रति वर्ष विजयादशमी मनाई जाती हैं।
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