श्राद्ध पक्ष की शुरुआत 13 सितंबर को हुई थी जो 28 सितंबर को समाप्त होने जा रहे हैं।28 सितंबर को आश्विन माह की अमावस्या हैं जो कि पितृपक्ष का अंतिम दिन होता हैं।पितृ पक्ष की अमावस्या का सबसे बड़ा महत्व माना जाता हैं और इसे सर्वपितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता हैं।क्योंकि इस दिन अगर पितृ पक्ष की अन्य तिथियों पर श्राद्ध नहीं कर पाते हैं तो अमावस्या पर श्राद्ध किया जाता हैं।तो आइये जानते हैं आखिर क्योंकि पितृ पक्ष अमावस्या के श्राद्ध का इतना महत्व माना जाता हैं।
पितृ पक्ष की अमावस्या पितरों के नाम की धूप देने से मन, शरीर और घर में शांति की स्थापना होती है। रोग और शोक मिट जाते हैं। गृहकलह और आकस्मिक घटना-दुर्घटना नहीं होती। घर के भीतर व्याप्त सभी तरह की नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकलकर घर का वास्तुदोष मिट जाता है।
ग्रह-नक्षत्रों से होने वाले छिटपुट बुरे असर भी धूप देने से दूर हो जाते हैं। श्राद्ध पक्ष में 16 दिन ही दी जाने वाली धूप से पितृ तृप्त होकर मुक्त हो जाते हैं तथा पितृ दोष का समाधान होकर पितृयज्ञ भी पूर्ण होता है।
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